उदियापुर री कामनी,गोए काढे गात्र।
देव तारा मन डगे, मानवीया कुण मात्र॥
चलो व्रज नार चलो ब्रजनार
खेल देखो पनिहारन का
रुमक जुमक चाल चलें,गज छुटा फौजदारन का
तेरे ललाट पे बूंद पर्यो
जाणे हार तुटा लखचारण का
सेंथापुर के आई खड़ी
जाणे घाव लगा तलवारन का
नगर ठठा मुलताण में, ऐसीं नहिं कामनी
गले मोतनकी माल, दमंके जणे दामनी
छुटा मेली केश, अंबोडो छोड़ के
उभी सरोवर पाल, मृगली अंग मरोड़कें
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
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* प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति*
*-शम्भु चौधरी, कोलकाता-*
*"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" *का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ
अधिवक्ता और *अखिल भारतीय मारवा...
4 हफ़्ते पहले