म्हारीं इण पोथी रै ऎकुकै चितराम ने मैं सावळ नेठाव सूं परखियौ है। राजस्थानी संस्कृति सूं सराबोर आ पोथी रालस्थानी काव्य री धकळी पांत री टाळकी पोथी है। मठार-मठार अर मांड़ियोडा चितराम हत्तूका सामा ऊबा, मूंडै बोलता लखावै। ऎकूकौ टाळमौ आखर आपरी ठावकी ठोड़ बीड़ीजियोड़ौ दीसै। लिखारै उण्डी-उण्ड़ी मरम री बातां रै ठेट मांय बड़ ने सावळ टंटोळ ने पछै लिखी है। राजस्थानी भासा री जाणकारी रै सागैई सूझ आळी दीठ, खरी परख, अचुकरी उपज, इतिहास री पूरी पकड़ अर राजस्थानी संस्कृति ने रुं-रु में रमायां टाळ इत्ती सांतरी पोथी लिखीजै इज कौ-यनी।
चितराम सामी है, रेखावां रां, रंगा रा चितराम नीं है। ऎ चितराम है सबदां रा। केई सबदां रा चितराम ऎड़ा हुया करै जका सबद री सींव में रिया करै, अर कीं चितराम सबद री सींव री ने तोड़ै, सबदां ने नवा अरथां सू भरै, नवा मरम दैवे।सबद खुदौखुद चितराम रा उणियारा ने उजागर करै।अर चितराम सबद री आतमा ने।
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
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* प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति*
*-शम्भु चौधरी, कोलकाता-*
*"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" *का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ
अधिवक्ता और *अखिल भारतीय मारवा...
4 हफ़्ते पहले