सोरठ रंग री सावळीं, सुपारी रे रंग।
लूंगा जैड़ी चरपरी, उड़ उड़ लागै अंग॥
सोरठ उतरी महल सूं, झांझर रे झणकार।
धूज्या गढ़ रा कांगरा, गाजी गढ़ गिरनार॥
सोरठ साकर री डळी, मुख मेल्यां घुळ जाय।
हिवड़ै आय विलूंबतां, हेमाळो ढुळ जाय॥
ऊंचो गढ गिरनार, आबू पै छाया पड़ै।
सोरठ रो सिणगार, बादळ सूं वातां करै॥
जिण सांचै सोरठ घड़ी, घड़ियो राव खंगार।
वो सांचो तो गळ गयो, लद ही गयो लुहार॥
सुण बींझा सोरठ कहे, नेह केता मण होय।
लाग्यां रो लेखो नहीं, टूटा टांक न होय॥
सोरठ थां में गुण घणां, रतियन ऒगण होय।
गूंदगरी रा पेड़ ज्यूं, कदियन खारो होय॥
सोरठ तूं सुरनार, सिर सोने रो बेहड़ो।
पग थांभो पणिहार, बातां बूझे बींझरो॥
बींझा बीण बजाय के, गायो सोरठ राग।
झोला खावे नाग जूं, जागी सोरठ जाग॥
(संकलित काव्य)
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
-
* प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति*
*-शम्भु चौधरी, कोलकाता-*
*"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" *का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ
अधिवक्ता और *अखिल भारतीय मारवा...
4 हफ़्ते पहले