समर चढै़ काठां चढै़, रहै पीव रै साथ।
एक गुणा नर सूरमा, तिगुण गुणा तमय जात॥
चन्द ऊजाळै एक पक, बीजै पख अंधिकार।
बळ दुंहु पाख उजाळिया, चन्द्रमुखी बळिहार॥
खाटी कुळ रो खोयणां, नेपै घर घर नींद।
रसा कंवारी रावतां, वीर तिको ही वींद॥
ऊंघ न आवै त्रण जणां, कामण कहीं किणांह।
उकडू थटां बहुरिणां, बैर खटक्के ज्यांह॥
एक्कर वन वसंतड़ा, एकर अंतर काय।
सिंघ कवड्डी ना लहै, गँवर लक्ख विकाय॥
संकलित काव्य
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
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* प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति*
*-शम्भु चौधरी, कोलकाता-*
*"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" *का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ
अधिवक्ता और *अखिल भारतीय मारवा...
4 हफ़्ते पहले