हूँ बळिहारी राणियां ,
जाया वंस छतीस ।
सेर सलूणो चूण ले ,
सीस करै बगसीस ।।
हूँ बळिहारी राणियां ,
थाळ वजाणौ दीह ।
वींद जमी'रा जे जणै ,
सांकळ ढीटा सीह।।
हूँ बळिहारी राणियां ,
भ्रूण सिखावण भाव ।
नाळो वाढण री छुरी ,
झपटै जणियो साव।।
थाळ वजतां हे सखी ,
दिठो नैणा फुळाय ।
वाजां'रै सिर चेतणो ,
भ्रूणां कवण सिखाय?।
इळा न देणी आपणी ,
रण खेतां भिङ जाय ।
पूत सिखावे पालणै ,
मरण वडाई माय।।
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
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* प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति*
*-शम्भु चौधरी, कोलकाता-*
*"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" *का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ
अधिवक्ता और *अखिल भारतीय मारवा...
4 हफ़्ते पहले