चांदड़ळै री निरमळ रात
आधी रा सरवर सांचरी ऒ रांम।
रांमजी सांमी धकिया नंदजी रा लाल
म्हांनै गाय दूवाड़ौ छाळरी ऒ रांम।
रांमजी लांबी लांबी दूधड़लै री धार
म्हारी चूंदड़ होयगी चीगटी ऒ रांम।
रांमजी जायोड़ै नै बरज नै राख
म्हनै (गूजरियां) जणी जणी देवै ऒळबा।
बहू ऐ गूजरियां री जात कुजात
सांची री झूठी भेळ दै ऒ रांम।
(चक्की चळावा बां टेम रो लोकगीत)
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
-
* प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति*
*-शम्भु चौधरी, कोलकाता-*
*"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" *का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ
अधिवक्ता और *अखिल भारतीय मारवा...
4 हफ़्ते पहले
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें