समर चढै़ काठां चढै़, रहै पीव रै साथ।
एक गुणा नर सूरमा, तिगुण गुणा तमय जात॥
चन्द ऊजाळै एक पक, बीजै पख अंधिकार।
बळ दुंहु पाख उजाळिया, चन्द्रमुखी बळिहार॥
खाटी कुळ रो खोयणां, नेपै घर घर नींद।
रसा कंवारी रावतां, वीर तिको ही वींद॥
ऊंघ न आवै त्रण जणां, कामण कहीं किणांह।
उकडू थटां बहुरिणां, बैर खटक्के ज्यांह॥
एक्कर वन वसंतड़ा, एकर अंतर काय।
सिंघ कवड्डी ना लहै, गँवर लक्ख विकाय॥
Ratan Singh Shekhawat,
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
8 माह पहले
rastra bhasha main shiksha hona hi chahiye balki shiksha Bachchon ki bhasha main honi chahiye