आ मन री बात बता दादी।
कुण करग्यो घात बता दादी।।
भाषा थारी लेग्या लूंठा।
कुण देग्या मात बता दादी।।
दिन तो काट लियो अणबोल्यां।
कद कटसी रात बता दादी।।
मामा है जद कंस समूळा।
कुण भरसी भात बता दादी।।
भींतां जब दुड़गी सगळी।
कठै टिकै छात बता दादी।।
ओम पुरोहित 'कागद'
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
8 माह पहले
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