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विवेक वार निसाणी- गाडण केशवदासजी कृत

Rao GumanSingh Guman singh

ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी अस्तूत करंदे। इल, अंबर, पावक, पदन, इंच, चंद दुडंदे॥ सनकादिक, सप्त रिष फण सहंस फुणंदे। सारद, नारद, सुख मुख व्यास समरंदे। इंद्रादिक, रुद्रादिक ब्रह्मादिक बंदे॥ अष्ट भैरुं दश दृगपाल भी सात समन्दे। षट जत्ती षट चक्रदती सभी समरन्दे।। नवही नाथ अनंत सिद्ध आदेश अखन्दे। सहस्त्र अठ्यासी ऋषि संभाल धुण ध्यान धरन्दे॥ अमर बडे तैतीस कोड़ जस नाम जपंदे। पीर पकंबर दस्तगीर सब हाजर बन्दे॥ मोहमद जैसे मुसतफ़ा नीवाज़ नमन्दे। बडे-बडेरे बड बडे बड पुरुष बिलन्दे॥ जाण प्रमाण्या जाहरां दिल अन्दर दंद। सिद्धां आगम च्यार वेद कतेब करन्द॥ पूतलियां नट हन्दियां क्या आदम गंद । यह भी खेल न जाण ही उस षालक हन्द।६।

विवेक वार निसाणी की छठी निसाणी