Rao GumanSingh
Guman singh
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खांडे मारे तेज है स जी सदा पागडै जीत।
मोड़ां मुवाणी फौज की स म्हे कदै न छोडां रीत॥
धरती धूजे पग धरयां स रे खांडे आग झडन्त।
मदमाता गज धूजता स रे ज्यांरा तुरत उखाडां दंत॥
चिमटी सूं चूरा करां स जी रपया रा सब अंक।
केहरि मारां कांकरी स कोई सामां पगां निसंक॥
Rao GumanSingh
Guman singh
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भरी जवानी भई दिवानी जोबन लहरा लेवे जी।
रेन रंगीली छैल छबीली नहीं पिया बिन रेवे जी॥
इस्क करो तो सुणो काकीजी इतरो करौ करार।
करना तो डरना नहीं स रे है खांडा की धार॥
इस्क मांयने केई डूबग्या करलो खूब विचार॥
मन में उठे हवडका पिडन बिना अब व्याकुल नारी।
खारा जैर लागै मोंहे सब हीं झाल अंग में उठे।
खाली सब ही महल माळिया देख भिड़कणी छूटे॥
Rao GumanSingh
Guman singh
आडां ऊमरकोट रां जाडां थळां जुहार।
वड दाता वैरौ वसै सोढा कुळ सिणगार॥
आठ पहर पौहरा रहै कसिया रहै तुरंग।
मारवाड कांकड सिंध सिर ऊमरकोट दुरंग॥
राव गुमानसिंह
रानीवाडा(मारवाड)