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माखण री जगा रूई देखणै निकलगियौ मिनकी रौ जीव

Rao GumanSingh Guman singh

घणी पूरानी बात हैं। रामदीन नाम रो बिरामण हौ। वौ चंदर नाम रा गांव मैं रेवतौ हौ। एकर उण गांव में आंधी-तूफान आयौ। तूफान इतरौ भंयकर हो कै घरां री छतां उड़गी। थेड़ी देर पछै बरसात शुरू व्हिई। घर गिरण रा ड़र में एक मिनख आपरा टाबरां नै लेयर दूजी जगा निकल गियौ, ताकि आफत सूं उणरौ कई नीं बिगड़े। उणरै घर में एक मिनकी हीं, उतावल में वो उणनै खोलणौ भूल गियौं। आंधी-तूफान में वौ हक्को-बक्को वठा सूं निकलगियौं। इण हड़बड़ाहट में मिनकी वठेही बांधियोड़ी ही रेहगी। ज्यू-ज्यूं तूफान आयो वा घणा पग पटकिया, पण मिनकी नीं खुली। जठै मिनकी बांधियोड़ी ही, उणती थोड़ी अलगी दूर हवा सूं उड़नै रूई रौ टुकड़ौं आयनै गिर गियौ, अठै पाणी रा टपां पड़ण सूं वौ वठै ही आयनै रूक गियौ। बिल्ली रो ध्यान वठै गियौ तौ वौ सोचियौं कै औ माखन रौ टुकड़ौ हैं। वा माखन पावण सारू घणी उछल कूद मचाई, पण सगळी बेकार गी। घणी मेहनत रा पछै भी माखण उणरी पहुंच सू बारै ही रियौ। वा भूख रै मारै कूदती गी, वा बंधन सूं मुक्त होवण सारू रास्ता खोजण लागी पण उणनै कोई रास्तौं नीं सूझियौं। लारै जातौ वा थक हार गी। पांच सात दिन पछै जद आंधी तूफान रौ जोर कम पड़ियौ। जणै घर रा सगळा मिनख घरै आया। उणनै घणों अफसोस व्हियौ कै वौ उतावल में मिनकी खोलणौं भूल गियौ। उणणै आपरै करमा माथै घणौ दुख व्हियौ। खैर जौ व्हैगी सो व्हैगियौ। वौ लारली बात बिसार नै उणी टैम मिनकी नै खौली अर उणनै घणौ लाड़ करियौ। घणी चीजां खावण सारू रखी। लाड़ करतौ वौ उणनै गौद में भी उठा ली, पण मिनकी रौ जीव तौ माखन में बसियोड़ौ हौ। इण सारू वा उतावली व्हैनै माखन रै पास पूगी, वा सौचियौ आत सात दिनां रै पछै उणरी मन री इच्छा पूरी व्है जावैला। जद उणनै साची बात ठाह पड़ी तौ वा घणी दुखी व्हिई। रूई तौ टुकड़ौ पायनै उणरै मन में निराशा घर कर गई, यूं करता उणरौ जीवण उड़ गियौ। मालिक नै जद इण बात रौ ठाह पड़ियौ जणै वौ घणों दुखी व्हियौ। मिनकी सात दिनां तक माखन रा लौभ में जीवती रैहगी, पण रूई देखणै उण्रौ जीवण थौड़ा टैम में हीं निकल गियौ।


बात बात में ठाकरां आपरौ नूर गमायौ

Rao GumanSingh Guman singh

ऐक ठाकर साब रै कनै घणा रिपिया व्हैगिया तो उणनै घमंड आय गियौं। वै दिन रात रिपिया रै घमंड में रैवता। ऐक दिन री बात हैं। वे रावला सूं आपरा घोड़ा माथै सवार होय नै गांव में घूमण नै निकळिया। ऐक सेठ री दुकान रै आगै पूग्या तौ सेठ आपरी मूंछौ माथै ताव दियौ। ठाकर नै लागौ कि औ सेठ म्हारौ अपमान कर रियौ हैं। ठाकर सेठ सूं कह्यौं-थ्ज्ञू म्हनै देखनै मूंछौ माथै ताव दे रियौ हैं, आ बात ठीक नीं हैं। सेठ कह्यौ-मूछां म्हारी हैं, म्हैं ऐक नीं दस बार ताव दूं, म्हारी मरजी, आपणै इणसूं कई फरक पडैं। म्ॅहारी मूंछा म्हैं घणौं तेल पाय नै मोटी करी हूं, इण सारू ऐक नीं दस बार ताव लगांऊ, म्हारी मरजी। ठाकर सा नै इण बात सूं खासी रीस आय गी। वे सेठ नै घणी खरी-खोटी सुनाई। सेठ सूं कह्यौं, आज सूं आपरै म्हारै बीच वैर व्हिगयौ। अबै देख लेवांला सेठ भी ठाकर साब री ललकार माथै कह्यौं, ठीक हैं, बैर हैं तौ बैर हीं सही। मैदान खुलों हैं, टैमआवैला जद म्है भी देख लेवूंलां। ठाकर नै आ बात अघणी अखरी। वै लड़ाई री तैयारी करण लागा। आगती-पागती सूं तीर, तलवार अर बंदूका मगवाई। सगळा सगां संबंधिया नै अेक साथै बुलाया अर तनख्वाह देवण वाला सैनिक भैळा करिया। ठाकर उणनै घणौ खिलावतौ, पिलावतौ सगळा री सुख सुविधा रौ ध्यान राखतौ। लारै जातौ लड़ाई रौ दिन तय व्हियौ। ठाकर आपरा सगळा मिनखा रै सागै हथियारां सूं लैस व्हैणै सेठ री दुकान रै आगै पूग्या। सेठ उण टैम आपरा काम में लागौड़ा हा। वौ लड़ाई सारू तैयारी नीं करी ही। ठाकर सेठ ने ललकारतौं कह्यौं, आ जाऔ मैदान मंे। सेठ उठकर ठाकर नै मुजरौ करियौ कह्यौं, आप सूं म्हारी कैड़ी लड़ाई। आप म्हारा राजा अर म्है थ्हारी प्रजा। आ तो सेठ हाळीं मूछ हैं, यों नी सही तो यो सहीं। अेड़ो कह सेठ आपरी मूंछा रा बळ खोल दिया। ठाकर घणौं पछतायौं कै सेठ सूं यूं ही राड़ पाल ली अर इण राड़ में अपरौ सगळौ धन पाणी म्है डाल दियौ।


गिनायतां नै यूं सिखायौ सबक

Rao GumanSingh Guman singh

ऐक सेठ री छोरी रौ ब्याव हौ। बारात आई तो छोरी वाला धूमधाम सूं सत्कार करियौ। छोरा वाला मालदार हा, पण बींदणी सारू गैहणौ-गांठौं नीं लाया हा। गैहणा रै ठौर रोकड़ रिपिया भरण नै दौ थाल में धर दिया। छोरी रा बाप नै जद इण बात री जानकारी व्हिई तौ बैटी वौ आपरा गिनायत कनै पूगौं अर पूछियौं कई बात हैं ? आप तौ रीत जितरा गैहणा नीं लाया ? छोरा रा बात कह्यौं बाजार सूं सोनो लावतौ तौ सुनार कमावतौ अर उणमें मिलवाट रौ ही डर रैवतौं। पछै सुनार तौ सुनार हैं उणमूं भी थौड़ौ घणौं राख लैवतौं। इणरै पछै भीगैहणा बनावट सारू मजूरी देनी पड़ती जकौ न्यारी। बींदणी जद गैहणा पहनैला तौ वै घिसला भी। इण सारू गैहणा नीं लायनै रोकड़ रिपिया लाया हूं, ताकि किणी तरै रौ खतरौ नीं। गिनायत री आ बात सुणनै छोरी रौ बाप चुप व्हैगियौ। पण जद सजनगोठ-बड़ी ज्योनार रौ समै व्हियौ अर बारात जीमण सारू आई तौ बेटी रौ बात सगळा री पतलां माथै मिठाइंया री ठौर चार-चार रिपिया धर दिया। अबै तमाशा करियौ ? म्हारी तौ नाक कटवा दीं, पत्तला माथै रिपिया क्यूं धरिया हौ। छोरी रौ बाप घणा लाड सूं कह्यौं, म्है इण सारू पतलां माथै रिपिया धरिया क्यूंकि पैला बाजार सूं घी, शक्कर, दाल आदि लावणी पड़ती, अगर यूं करतौ तौ पंसारी नै फायदौ व्हैतौ। पछै हलवाई कनां सूं मिठाईंया बणावतौ जणै उनरी मजूरी दैवणी पड़ती, इणमें भी मीठौं कम ज्यादा री चिंता। बात अठै हीं खत्म नीं व्हैती आपनै भी उणनै खावण सारू मेहनत करनी पड़ती। इणमें घणी मिठाीई खराब व्है जावती, इण सारू म्है पतलां म्हैं मिठाई री ठौर रिपिया धर दिया। इणमें किणी तरै रै नुकसान री संभावना नीं हैं । आ बात सुणता हीं बैटा रै बाप री बोलती बंद व्हैगी, वौ घणौ पिछतायौ। हाथौ-हाथ गांव रा बाजार में गियौ अर आपरी बींदणी रै सर सूं लेयर पग तक रा गैहणा गड़ायनै लेयर आयौ जण छौरी रौ बात जो आपरै गिनायन नै सबक सिखावण री ठाणी हैं उणनै चान दिनां तक राजी खुसी पांच पकवान जिमाया।