राजिया रे दूहा सारु http://rajiaduha.blogspot.com क्लिक करावें रज़वाड़ी टेम री ठावकी ख्यातां रो ब्लॉग आपरै सांमै थोड़ाक टेम मा आरीयो है वाट जोवताईज रौ।

एक आसरो वादळी

Rao GumanSingh Guman singh

आठूं पोर अडीकतां 
वीतै दिन ज्यूं मास।
दरसण दे अब वादळी 
मत मुरधर नै तास॥

आस लगायां मुरधरा 
देख रही दिन रात।
भागी आ तूं वादळी 
आयी रुत वरसात॥

कोरां-कोरां धोरियां 
डूंगां डूंगां डैर।
आव रमां अे वादळी 
ले-ले मुरधर ल्हैर॥

ग्रीखम रुत दाझी धरा 
कळप रही दिन-रात।
मेह मिलावण वादळी 
वरस वरस वरसात॥

नहीं नदी नाळा अठै
नहिं सरवर सरसाय।
एक आसरो वादळी
मरु सूकी मत जाय॥


--
Posted By AAPNI BHASHA - AAPNI BAAT to AAPNI BHASHA-AAPNI BAAT at 7/16/2010 07:13:00 AM