आया आया रे
मोरू भाई पांवणा
कांई आगे धोरा वाळो देश
बीरो बणजारो रे
कांई आया म्हारा देवर जेठ
बीरो बणजारो रे
सासू रांध्या रे मोरू भाई बांकळा
म्हारी नणद बिलोवे खाटी छाछ
बीरो बणजारो रे
मंगरिया उंछाळू रे
मोरू भाई बांकळा
नदिया में लिमोऊं खाटी छाछ
बीरो बणजारो रे
माथा धोऊं रे
मोरू भाई मेट सूं
कांई घालूं चमेली रो तेल
बीरो बणजारो रे
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
7 माह पहले