गणण गणण गोळां गणण, गरण गरण गरणाय।
धरर धरर धरती धमक, कमठ पीठ कड़काय॥
गजंद गुडाणी गजबणी, अरि भखणी आराण।
सैस मुखी अर खड़गखट, गूंजै धर गरणाय॥
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
7 माह पहले