गणण गणण गोळां गणण, गरण गरण गरणाय।
धरर धरर धरती धमक, कमठ पीठ कड़काय॥
गजंद गुडाणी गजबणी, अरि भखणी आराण।
सैस मुखी अर खड़गखट, गूंजै धर गरणाय॥
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले