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हाथां मे हथियारां रौ वखांण

Rao GumanSingh Guman singh

गणण गणण गोळां गणण, गरण गरण गरणाय।
धरर धरर धरती धमक, कमठ पीठ कड़काय॥
गजंद गुडाणी गजबणी, अरि भखणी आराण।
सैस मुखी अर खड़गखट, गूंजै धर गरणाय॥

देवी अंबा ने रुखाळी री वंदना

Rao GumanSingh Guman singh


चढ़ो मग्रप महामाया, चामुण्ड़ा चिरताळी।
मद री छाकां छक र माता, धार त्रिसूळ धजाळी।
चंड-मुंड, भड़ राकस चंड़ा, मार दिया मतवाळी।
आज सैकड़ां राकसड़ां मिल, मचा रिया पैमाळी।
जद-जद हुई धरम री हाणी, धारी खड़ग भुजाळी।
रजवट वट प्रतपाळक देवी, जय अंबे जय काळी॥

गणेश-वंदना

Rao GumanSingh Guman singh


रणथंभर गढ़ राव, उमा सुत थांनै सिंबर।
दोखी देवण दाव, साम्रथ दीजै सूंडळा॥
रिद्धि-सिद्धि वर बुद्धि वरद, ऒढ़र बगसण आथ।
सारा कारज सारणा, नमो चरण गणनाथ॥