राजिया रे दूहा सारु http://rajiaduha.blogspot.com क्लिक करावें रज़वाड़ी टेम री ठावकी ख्यातां रो ब्लॉग आपरै सांमै थोड़ाक टेम मा आरीयो है वाट जोवताईज रौ।

रजपूताणी

Rao GumanSingh Guman singh

पीयू कायर पधारिया अरियों आगळ भाग।
फट जावे धरा धसूं मिल जावे गर माग।।

हूं खप जाती खग तले, हूं कट जाती उण ठौड़।
बोटी बोटी बिखरती पण रहती रण राठौड़।।

हेली राजमहल रा दीपक दो बुजाय।
उजासो किणने अजसे पीव घर आया धाय।।

राठौड़ा किम रण थने भायो नहीं भरतार।
थे रहवो रंग महल में, मन देवो तलवार।।

राठौड़ रण सूं भागयो शोभे नहीं सुभट्ट।
इण कायरता उपेर रोवे अब रजवट।।

हिवड़ो खूब हरकतो जे आतो कट शीश।
सतियां भेली शोभती सुणो मरूधरधीश।।

साभार:- कविवर श्री हनुवन्तसिंघ देवड़ा पुस्तक का नाम "सिंहनाद"

युद्ध री चढ़ाई

Rao GumanSingh Guman singh

Maharana Raj Singh Mewar
मद झरता केइ दे रहया मातंग मचोला।
बापूकारे तोइ भरे पग होला होला।।
उडे तुरंग आकाश में ज्यूं उडण खटोला।
करभ हालिया धरमपण ज्यां बेग अतोला।।
सोहड़ चढिय़ा साथ में सीहां सा टोला।
केसरिया कीधा किता के अम्बर धोला।।
घूमे मतवाला जठे अमलां छक छोला।
वणे वीर कायर कई मासा अर तोला।।
खुलिया सहनायां तणा पांना दलदोला।
त्रंबक मोटा गड़ गड़े दल पीठ अडोला।।
रखवाला संग हालिया चढ़ शंकर भोला।
फोज रूप में जांनरा यूं थटे हबोला।।

डिंगल छन्द "नीसाणी"