Rao GumanSingh
Guman singh
Rao GumanSingh
Guman singh
Rao GumanSingh
Guman singh
Rao GumanSingh
Guman singh
Rao GumanSingh
Guman singh
Rao GumanSingh
Guman singh
परणे वरजंग जेसळपर परथम।
दत हथ लाख खरचीया दाम।।
वेणा सामैये राव वेणा ने।
गढपत दियो दांतिया गाम।।
संवत चौद वरस सोनताले।
परबळ किनो लाख पसाव।।
तांबा पत्र कियो तिह वेणा।
रंग बलु मसरीका राव।।
शाख दिवाण दरगेश करी सही।
वणे शाख भाटी वेरीशाळ।।
राव मालदे काको रजवट।
वणी दीनी घोड़ा री वाळ।।
छत उजळ वध्यो जश सुरा।
भडा शिरामण आखे भूप।।
राजन दान दिया कुळ राव।
अण पर कीरत वधी अनूप।।
सांचोर परगना के राव वरजंगजी की जेसलमेर शादी होने के बाद बारात वापिस आने पर दांतिया गांव सांसण में वेणाजी राव को तांबा पत्र लिखकर दिया था। उसकी कुछ विगत हाथ लगी। तो आपसे शेयर की जाए। कुछ त्रुटिया भी हो सकती है। कुछ लोगों के मुंह से सुनकर लिखी है।
Rao GumanSingh
Guman singh
|
श्री नरपतदान आशियां निवासी खांण
तहसील रेवदर जिला सिरोही द्वारा विरचित रचना
|
|
Rao GumanSingh
Guman singh
|
श्री नरपतदान आशियां निवासी खांण तहसील रेवदर जिला सिरोही द्वारा विरचित रचना |