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टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए

Rao GumanSingh Guman singh

टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए

टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए

लागी प्यारी फुलवारी आतो झूम झूम जाए
ल्याई गोरी रो संदेशो घर आओ नी सजन
बैरी आंसुडा रो हार बिखर नही जाए
कोई चमकी री चुंदरी में सळ पड़ जाए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो री बयारिया
झालो सहयो नही जाए

हो बांगा माहे

Rao GumanSingh Guman singh

शहर बाजार में जाइजो हो बना जी हो राज
पान मंगाय वो रंगतदार बनजी बांगा माहे
पांन खाय बनी सांभी सभी, बना हजी हो राजे
बनो खीचे बनी से हाथ .. हो बांगा माहे
हाव्यलड़ों मत खीचों बना जी हो राजे
रुपया लेस्सूँ सात हजार .... हो बांगा माहे
ऊधार फुझाब मैं नहीं करां हो राज
रुपया गिगलां सात हजार ... हो बांगा माहे
शहर बाजरां मती जाइजो हो राज
म्हांने परदेसी रो कांई रे विसवास .. हो बांगा माहे...

बैठूंगी मोटर कार में

Rao GumanSingh Guman singh

चाहे बिक जाये हरियो रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में

चाहे सास बिको चाहे ससुर बिको
चाहे बिक जाये नणद छिनार
बैठूंगी मोटर कार में

चाहे देवर बिको चाहे देराणी बिको
चाहे बिक जाये सारा रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में

चाहे जेठ बिको चाहे जेठाणी बिको
चाहे बिक जाये हरियो रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में

चाहे बलम बिको चाहे सौंक बिको
चाहे बिक जाये सांस को लाल
बैठूंगी मोटर कार में

कैसरी कुंडै की मारी, भोजों बोल्यौं बस

Rao GumanSingh Guman singh

एक गांव मे भोजा नाम रौ मिनख रैवतौ हौं। उणरी लुगाई रौ नाम केसरी हौ। कैसरी घणी लड़ाक ही। दोनूं आपरै घर सूं न्यारा रैवता हा। घर में वै सिरफ तीन मिनख हा। अेक टाबर भी हौ। रात दिन बात-बात में लड़ाई करणौ तौ केसरी रौ सौक हौ। भोजौ इण बात सूं घणौं कायौं व्हैतौ। वौ केसरी नै घणी समझाई। पग पकड़िया, हाथा-जोड़ी करी। उणरै मां-बाप सूं बात करी। छोरी री मां अर बाप उणनै समझाई। लाड़ेसर, अे थ्हारा धणी हैं। धणी भगवान समान व्है, इणरी सेवा करणौ थ्हारौ धरम हैं। पण केसरी नै किणी बात रौ फरक नीं पड़ियौं, वा तौ आपरी मरजी री मालकिन ही। साधु-मातमा कना सूं भी उपाय करवाया पण वा तौ लखणौ री लाड़गी ही। भोजा रा मां-बाप अर बहना उणनै आंख देवता ही नीं सुवाता। भौजों कितरी बार मरन री कोसिस करी, पण वा कैवती अबै यूं नीं करू ? म्हारी गलती व्हैगी। भौजौं घर सूं जावण री बात करतौ तौ वा मरण-मारण री धमकी देवती। कितरी बार कपड़ा में आग लगाय देवती। भाजा अर उणरा परिवार नै घणी भूंडी बोलती। रोज-रोज रा झगड़ा सूं कायौं व्हैनै भोजो सोचियौं कै अबै यूं नी चालैला। इणरी धमकिया सूं डरगियौ तौ म्हारौ जमारौ खराब व्है जावैला। औ विचार नै वौ केसरी सूं कह्यौं, म्हैं तौ जा रियो हूं, अबै थू अेकली रै सुख सूं। केसरी घणा ही नाटक करिया। भोजा थूं घर सूं ग्यौ तौ मर जाऊंला। मां-बाप तौ मुंडौ घालैला नीं। भौजौ इण बार अेक नीं सुंणी। जिण समै भौजौं घर छोड़ण री बात करी ही, वा आटौं गूंद री ही। वा कुंड़ौ उठायनै भोजा रै माथा माथै मार दियौं। बापड़ौ भौजौ वठै ही बैठ ग्यौ अर कह्यौं, बस कठी दूंजी जगै मत मार दीजै, म्है कठी ही नीं जाऊंला।
भोजै भजंगी मारी, कम्मर लीनी कस।
क्ेसरी कुंडै की मारी, भाजौ बौल्यों बस।

पण कैसरी नीं मानीं। इण बार वा माथा मंे वार करियौ अर भौजा रौ जीव निकलग्यौं। भौजौ मरियों तौ घणी पछताई, टाबर अनाथ व्यैगियौं। पण अबै की व्हैं। अबै उणनै नीं तौ घर वाला नीं पीर वाला मुंडौ घालता। क्यूंकि सगळा उणरा लखण जाणता। इण कहाणी सूं आ सीख मिलै कै घर में लड़ाई झगड़ा परिवार नै खराब कर दैवे। लुंगाई घर में लिछमी रौ रूप व्हैं, उणनै आपरी मर्यादा में रैवणौ चाहिजें।