टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए
टूटे बाजूडा री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
कोई पंचरंगी लहेरिया रो पल्लो लहेराए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए
लागी प्यारी फुलवारी आतो झूम झूम जाए
ल्याई गोरी रो संदेशो घर आओ नी सजन
बैरी आंसुडा रो हार बिखर नही जाए
कोई चमकी री चुंदरी में सळ पड़ जाए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो नी बयारिया
झालो सहयो नही जाए
धीरे चालो नी बायरिया हौळे हालो री बयारिया
झालो सहयो नही जाए
शहर बाजार में जाइजो हो बना जी हो राज
पान मंगाय वो रंगतदार बनजी बांगा माहे
पांन खाय बनी सांभी सभी, बना हजी हो राजे
बनो खीचे बनी से हाथ .. हो बांगा माहे
हाव्यलड़ों मत खीचों बना जी हो राजे
रुपया लेस्सूँ सात हजार .... हो बांगा माहे
ऊधार फुझाब मैं नहीं करां हो राज
रुपया गिगलां सात हजार ... हो बांगा माहे
शहर बाजरां मती जाइजो हो राज
म्हांने परदेसी रो कांई रे विसवास .. हो बांगा माहे...
चाहे बिक जाये हरियो रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में
चाहे सास बिको चाहे ससुर बिको
चाहे बिक जाये नणद छिनार
बैठूंगी मोटर कार में
चाहे देवर बिको चाहे देराणी बिको
चाहे बिक जाये सारा रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में
चाहे जेठ बिको चाहे जेठाणी बिको
चाहे बिक जाये हरियो रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में
चाहे बलम बिको चाहे सौंक बिको
चाहे बिक जाये सांस को लाल
बैठूंगी मोटर कार में
एक गांव मे भोजा नाम रौ मिनख रैवतौ हौं। उणरी लुगाई रौ नाम केसरी हौ। कैसरी घणी लड़ाक ही। दोनूं आपरै घर सूं न्यारा रैवता हा। घर में वै सिरफ तीन मिनख हा। अेक टाबर भी हौ। रात दिन बात-बात में लड़ाई करणौ तौ केसरी रौ सौक हौ। भोजौ इण बात सूं घणौं कायौं व्हैतौ। वौ केसरी नै घणी समझाई। पग पकड़िया, हाथा-जोड़ी करी। उणरै मां-बाप सूं बात करी। छोरी री मां अर बाप उणनै समझाई। लाड़ेसर, अे थ्हारा धणी हैं। धणी भगवान समान व्है, इणरी सेवा करणौ थ्हारौ धरम हैं। पण केसरी नै किणी बात रौ फरक नीं पड़ियौं, वा तौ आपरी मरजी री मालकिन ही। साधु-मातमा कना सूं भी उपाय करवाया पण वा तौ लखणौ री लाड़गी ही। भोजा रा मां-बाप अर बहना उणनै आंख देवता ही नीं सुवाता। भौजों कितरी बार मरन री कोसिस करी, पण वा कैवती अबै यूं नीं करू ? म्हारी गलती व्हैगी। भौजौं घर सूं जावण री बात करतौ तौ वा मरण-मारण री धमकी देवती। कितरी बार कपड़ा में आग लगाय देवती। भाजा अर उणरा परिवार नै घणी भूंडी बोलती। रोज-रोज रा झगड़ा सूं कायौं व्हैनै भोजो सोचियौं कै अबै यूं नी चालैला। इणरी धमकिया सूं डरगियौ तौ म्हारौ जमारौ खराब व्है जावैला। औ विचार नै वौ केसरी सूं कह्यौं, म्हैं तौ जा रियो हूं, अबै थू अेकली रै सुख सूं। केसरी घणा ही नाटक करिया। भोजा थूं घर सूं ग्यौ तौ मर जाऊंला। मां-बाप तौ मुंडौ घालैला नीं। भौजौ इण बार अेक नीं सुंणी। जिण समै भौजौं घर छोड़ण री बात करी ही, वा आटौं गूंद री ही। वा कुंड़ौ उठायनै भोजा रै माथा माथै मार दियौं। बापड़ौ भौजौ वठै ही बैठ ग्यौ अर कह्यौं, बस कठी दूंजी जगै मत मार दीजै, म्है कठी ही नीं जाऊंला।
भोजै भजंगी मारी, कम्मर लीनी कस।
क्ेसरी कुंडै की मारी, भाजौ बौल्यों बस।
पण कैसरी नीं मानीं। इण बार वा माथा मंे वार करियौ अर भौजा रौ जीव निकलग्यौं। भौजौ मरियों तौ घणी पछताई, टाबर अनाथ व्यैगियौं। पण अबै की व्हैं। अबै उणनै नीं तौ घर वाला नीं पीर वाला मुंडौ घालता। क्यूंकि सगळा उणरा लखण जाणता। इण कहाणी सूं आ सीख मिलै कै घर में लड़ाई झगड़ा परिवार नै खराब कर दैवे। लुंगाई घर में लिछमी रौ रूप व्हैं, उणनै आपरी मर्यादा में रैवणौ चाहिजें।