एक चोर एक सेठां रै घरै घुसियौ पण, सेठ पांणी पीवण नै जागया सो उण री निजर चोर माथै पड़गी। सेठ मांचा माथै बैठग्या। चोर थांभा रै लारै उभौं रह्यौ। सेठ दो-तीन हेला पाड़नै सेठांणी नै जगाई। कह्यौं-ब्याव नै बीसेेक बरस व्हैगा। आज कांई जची के फेरा पाछा नवा करलां। सेठाणी सानी में समझगी, तौ ई वा अण जांण बणनै कह्यौं-माथा में धोळा आया हैं अर हाल टाबरपणा री बातां करौ। फेरा खावण री मन में आवै तौ अेकला खायलौ। सेठ बोल्या,-थे रांजी व्हौ भंलाई बैराजी। म्है तौ पांतरग्यौं के फेरा कीकर खाया हा। सेठांणी बोली-थारां आगै म्हारीं जोर नीं चाले। पण पाड़ौसियां रै साम्हीं अैड़ी बातां मत करज्यौ। लो, नवा फेरा खावणा व्है तौ अबै झट खायलौ। चोर सेठ सेठाणी री बातां सुणनै मन में जांणियौ के अेड़ौ भौळौ सेठ तौ मुलकां में ई नीं लाधै। परिंड़ा माथै सींचणियौ पड़ियौ हौ। सेठ डोली खोलनै सींचणियौ पड़ियौ हौ। सेठ डोली खोलनै सींचणियौ लाया। अेक मूंड़ौ सेठाणी ने झिलयानै कह्यौ-म्हनै साचैला फेरा तो खावण नी है। पाछा याद करणाहै जकौं इणसींचणिया सूं याद व्है जावैला। लौ, थैं इणरौ मूंड़ौ झेलौ। आ कैयनै सेठ उणी थांभा सू चिपियोड़ौ ऊभग्यौ। दोनूं धणी लुगाई थांभा रै चारूकांनी फेरा खावण लागा। चोर रै साम्हीं तौ वै भळियौ ई कोनीं। तीन फेरां रै पछै सेठाणी कह्यौ-लो, अबै म्हनै लारै आवण दौ। सेठ हौळै-हौळै चालता ई रह्या। चोर नै गिरियां सूं लेयनै ठेठ गळा तंाई आटां में पळेट लियौ। सेठ, सेठांणी नै थांभा रै पाखती बैठांणनै खुद डागळै चढ्या। जोर सूं हेलौ मारियौ-पाडिसियां, सावळ कांन देयनै सुण लीजौ, म्हैं चोरी करण सारू आवूं हूं। जाब्तौं करणौं व्है जकों कर लीजों। तीन चार बार वौ औ ई हेलौ मारियौ। चैथी वळा उणरौ हेलौ सुणनै अेक लड़कीलौ आदमी कह्यौ-सेठां, चोरी करोला तो माथा में अणगिणती रा जूत पड़ैला। सेठ पड़ूतर दियौ-चैरियां करण सूं जूत पड़ता व्है तो आवौ, चोर म्हारै घरै बंधियोड़ौ त्यार है। सगळा आड़ौसी पाड़ौसी जूता अब गेड़िया लेयनै दौड़ता आया। सेठ चोर नै बताया कह्यो-चोरां रै जूत पड़ता व्है तौ औ कोरौ क्यूं जावै ? अबै चूकजौ मती। पाड़ौसी लिगतरां सूं मार मारनै उणरौ पोखाळौ कर दियौ। वौ तौ सेठां रै नवा फेरा खावण रौ खिलकौं आखी ऊमर नीं पातरैला।
सीयाळा रा दिन हा। सेठ-सेठांणी सूता हा। आधी रात रा सेठांणी नै तिरस लागी। सेठांणी आड़ौ खोलनै थळी रै बारै पग धरियौ तौ साम्हीं डागळा सूं दो चोर उतरता दिख्या। वा तौ डरी, पर झट पाछौ आड़ौ देयनै आगळ जड़ दी। सेठा रा कांन में डरती-डरती हौळै सूं बोळी, गींगला रा भायजी, घर में चोर घुसग्या है। सेठ कह्यौ, डरण री जरूरत कोनी। सेठांणी पाछी सूय तौ गी पण डर नीं मिट्यौ। काळजौ धक-धक करण लागौ। सेठ सेठांणी रौ पुणचै दबायनै केवण लागा, सेठांणीजी, सुणौ कोंनीं, काई। बताळयनै कायौ व्हैगौ पण थांरी तौ आंख ई नीं उघड़े। सेठांणी बोली क्यूं, जीव खावौ। थे तोै रैय-रैयनै चमकौ। दूजा नै ई सावळ नीं सूवण दौ। हाका मत करौ। साळ रौ तौ आड़ौ दियड़ौ हौ। मांय सेठ-सेठांणी नै बातां करता सुणिया तौ चोर आड़ा रै पाखती कांन लगायनै उभग्या। जांणियौ के धन री की सोय लागैला। सेठ कह्यौं, आज थानै नांणौ लायनै दियौ जकौ सावळ जाब्ता सूं धर दियौ कांई ? सेठांणी चिड़ती बोली, थांने तो दिन रात धन हीं दिखे। सावळ आंख में कस ई नीं लेवण दौ। सेठ कह्यौं, अेकर पूछणा में थाने इती रीस क्यूं आवै ? धन कमावणौ दोरौ घणौ है। हजार-हजार रा नग जड़ियोड़ी बींटियां अर सौ मोहरां थारा हाथ में झिलाई। सेठांणी कह्यौ-म्हनै किसौ धन खारौ लागै। अैड़ौ जाब्ता सूं धरियौ हूं के चोर रा बाप रै ई हाथ नीं आवे। चोर काठा कांन अड़ायनै ध्यानं सूं बात सुणाण लागा। सेठांणी कह्यौ-बीटियां तौ बेक कुलड़ी में घालने सावळ माथै ढकणी देयनै चैक रा उखल माथै धरी हूं अर मोहरां सगळी अेक काळी चूंदड़ी में पळैटनै बाड़ां रै नींबड़ा रा डाळा में टेर दी हूं। बतावौ, थे अेड़ी जुगत कर सकता। चोर मन में कह्यौं के अबै घणा दिन रोवौला के कोई चोर मिळिया तौ हा। बेक तुरत मोहरां लावण सारू गियौ। वठै सांचांणी ई कुलड़ी पड़ी हीं। लप ढकणी उघाड़ी अर हाथ घालियौ। हाथ मांय घालतां ई जोर सूं हाकौ करियों-अरै, खायग्यौ रै। चोर रा सगळा डील में लाय-लाय फूटगी ही। बिच्छुवां रा ओळबां चढ़िया पण चढिया। सेठांणी नै सिंझया रा ऊखळ कनै दौ बिच्छु लाध्या हा। वा वांनै कुलड़ी में घाल दिया। उठीनै दूजौड़ौ चोर चूंदड़ी में बंधियोड़ी मोहरा लेवण सारू नींबड़ा माथै चढ़ियौ। डाळां माथै टिरती चूंदड़ी दिखी। देखतां ई वौ जोर सूं हचीड़ दियौ। हचीड़ देवतां ई अलेखूं मधु मखिया ठोड-ठोड डस न्हाकियौ। हैटै पड़ग्यौ। चोरां री गत देख सेठ सेठांणी हंसण लागा।