दारु पीवो रण चढो, राता राखो नैण।
बैरी थारा जल मरे, सुख पावे ला सैण॥
सोरठ रो दोहो भळो, कपड़ो भळो सपेत।
नारी तो निवली भळी, घोड़ो भलो कुम्मेत॥
ब्रजदेशाँ चन्दन बना, मेरु पहाड़ाँ मौड़।
गरुड़ खगाँ, लंका गढाँ, राजकुलाँ राठौर॥
(संकलनः- द ग्रैट इंडियन राव)
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
7 माह पहले