आज धराऊ धूंधळौ, मोटी छांटां मेह।
भगा बसन पधारजौ, जद जाणूंला नैह।।
ओढ ल्हैरियों गोरी ऊभी, मन ई मन मुसकावैं।
बागां बिच में मोर पपीहा, रूत रा गीत सुणावैं।।
होळै-होळै मन मदमाती, पवन चलै पुरवाई।
सावणियै री तीज गोरियां, तीज मनावण आई।।
हरियाळी छाई चहु दिस में, सूख गयौ मन म्हारौ।
नैणां पंथ बिछाया साजन, देखण नै उणियारौ।।
भादरवै री गाज सूं, हिवड़ौ धडका खाय।
इण बैळा म्हैं एकेळी, एकर मिळलौ आय।।