पूछो ना म्हे कितरा सोरा हां दादा।
निज भाषा बिना भोत दोरा हां दादा।।
कमावणो आप रो बतावणो दूजां रो।
परबस होयोड़ा ढिंढोरा हां दादा।।
अंतस में अळकत, है मोकळी बातां।
मनड़ै री मन में ई मोरां हां दादा।।
राज री भाषा अचपळी कूकर बोलां।
जूण अबोली सारी टोरां हां दादा।।
न्याव आडी भाषा ऊभी कूकर मांगां।
अन्याव आगै कद सैंजोरा हां दादा।।
ओम पुरोहित 'कागद'
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले