पूछो ना म्हे कितरा सोरा हां दादा।
निज भाषा बिना भोत दोरा हां दादा।।
कमावणो आप रो बतावणो दूजां रो।
परबस होयोड़ा ढिंढोरा हां दादा।।
अंतस में अळकत, है मोकळी बातां।
मनड़ै री मन में ई मोरां हां दादा।।
राज री भाषा अचपळी कूकर बोलां।
जूण अबोली सारी टोरां हां दादा।।
न्याव आडी भाषा ऊभी कूकर मांगां।
अन्याव आगै कद सैंजोरा हां दादा।।
ओम पुरोहित 'कागद'
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
8 माह पहले
OM PUROHIT KAGAD JI NE MARI OR SU GANI GANI BADHAI
AN RAJASTHANI GAZAL PADAWA WATE
BAHUT KHUB
SHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/