आ मन री बात बता दादी।
कुण करग्यो घात बता दादी।।
भाषा थारी लेग्या लूंठा।
कुण देग्या मात बता दादी।।
दिन तो काट लियो अणबोल्यां।
कद कटसी रात बता दादी।।
मामा है जद कंस समूळा।
कुण भरसी भात बता दादी।।
भींतां जब दुड़गी सगळी।
कठै टिकै छात बता दादी।।
ओम पुरोहित 'कागद'
Father day
-
-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
1 हफ़्ते पहले
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