बड़कै डाढ वराह कड़कै पीठ कमट्ठ री।
धड़कै नाग धराह बाघ चढै जद वीसहत्थ॥
थरहर अंबर थाय धरहती धूजै धरा।
पहरतां तब पाय वागा नेवर वीसहत्थ॥
पग डूलै दिगपाळ हाथ फाळ भूलै हसत।
पीड़ै नाग पताळ बाघ चढै जद वीसहत्थ॥
वाढाळी वहतांह राढाळी तरम्मक रड़ै।
साढाळी सहतांह डाढाळी ऊपर करै॥