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पंड़तजी यूं गंगाजी घाल नै आया जाट री मां ने

Rao GumanSingh Guman singh

एक जाट री मां मरी तौ वौ गांव रा पंडतजी नै गंगाजी वहीर करिया। हरद्वारा सूं तीसेक मील पैलां पड़तजी रौ सासरौ हो। तीच-च्यार बरसां सूं सासरै जावण रौ काम नीं पड़ियौ। अर कांम पड़तौ तौ ई इत्ती अळगी पड़ियौ भांय जावण सारू खरचो माथै पड़तौ। चैधरण रा फूल गंगाजी घालण रौ औ टांणौ देखियौ तौ वै केतां पांण मांनग्या। पण पंडत रा मन में कुटळाई आई। जाट सूं हरद्वार रौ पूरौ भाड़ौ लयनै वै आपरै सासरै ई मौज करणी चावता। फूलां नै सासरा री नाड़ी में छाने सूं पटक देवूंला। किणई नै कांई ठाह पड़ै। पंडतजी तौ सोची जकी ई करी। जाट सूं ठेठ हरद्वारा रौ आवण-जावण रौ खरचै लेयनै वै तो सीधा आपरै सासरे गिया। उठे आठ-दस दिनां तक आराम सूं रहयौ। खरचा मांय सूं खासा भला दांम बचाय लिया। दिनां री गिणती करनै वै पाछा हिसाब सूं गांव पूराग्रूा। जाट आपरी मां रै लारै घणौ ई खरचै खातौ करियौ। गंगाजळी वरतायनै सगळी न्यात निंवती। नांमी मौसर करियौ। केई दिन बीत्यां पछै जाट नै खबर पड़ी के पंड़तजी तौ ठागौ करग्या। ठेक हरद्वार गिया ई कोनीं। सासरा सू ई पांछा वळग्या। उठा री नाड़ी में फूल पटकनै झूठ ई गंगाजी रौ नांव ले लियौ। आ बात जाट नै अणहूंती खारी लागी। पंडतजी नै औळवौ देवतां कहयौ- पंडतजी, म्हैं आपनै म्हारा खास घरू जांण नै मां रा फूल सूंप्या। पण म्हनै रात रा सपनौ आयौ। सपा में मां आयनै म्हने कहयौ - पंडतजी आपरै सासरै ई म्हारा फूल पटक दिया। गंगाजी में घालिया बिना म्हारी गति नीं व्हैं। अबै कीकर ई करनै म्हनै गंगाजी पूगती कर। गंगाजी पुगायां बिना थारौ सगळौ खरचै-खातौ अकारथ जावैला। जाट री बात सुणनै पंडतजी कह्यौ - चैधरीं, म्हनैं तौ थारी मां, लखंणा बायरी ई दीसी। म्हारा सासरा सूं इतौं गौतौं खायनै पाछी अठै गांव कांई खावण नै आई। उठीनै ई सीधी गंगाजी पूग जावती तौ उणनै कुण बरजतौं हौ। थारौ खरचो-खातोै ई सुक्यारथ लाग जावतौ अर उणरी ई गति व्हैं जाती। पण लखणांबायरी लुगायां रौ कोई कांई करै। तबड़का मारती अठीनै नी आयनै उठीनै ई बळ जावती तौ कांई जोर आवतौ। गंगाजी तौ उठा सूं साम्ही नैड़ा हा। पंडत रौ पडूंतर सुणनै जाट घणों सरमीझियौं।