एक जाट री मां मरी तौ वौ गांव रा पंडतजी नै गंगाजी वहीर करिया। हरद्वारा सूं तीसेक मील पैलां पड़तजी रौ सासरौ हो। तीच-च्यार बरसां सूं सासरै जावण रौ काम नीं पड़ियौ। अर कांम पड़तौ तौ ई इत्ती अळगी पड़ियौ भांय जावण सारू खरचो माथै पड़तौ। चैधरण रा फूल गंगाजी घालण रौ औ टांणौ देखियौ तौ वै केतां पांण मांनग्या। पण पंडत रा मन में कुटळाई आई। जाट सूं हरद्वार रौ पूरौ भाड़ौ लयनै वै आपरै सासरै ई मौज करणी चावता। फूलां नै सासरा री नाड़ी में छाने सूं पटक देवूंला। किणई नै कांई ठाह पड़ै। पंडतजी तौ सोची जकी ई करी। जाट सूं ठेठ हरद्वारा रौ आवण-जावण रौ खरचै लेयनै वै तो सीधा आपरै सासरे गिया। उठे आठ-दस दिनां तक आराम सूं रहयौ। खरचा मांय सूं खासा भला दांम बचाय लिया। दिनां री गिणती करनै वै पाछा हिसाब सूं गांव पूराग्रूा। जाट आपरी मां रै लारै घणौ ई खरचै खातौ करियौ। गंगाजळी वरतायनै सगळी न्यात निंवती। नांमी मौसर करियौ। केई दिन बीत्यां पछै जाट नै खबर पड़ी के पंड़तजी तौ ठागौ करग्या। ठेक हरद्वार गिया ई कोनीं। सासरा सू ई पांछा वळग्या। उठा री नाड़ी में फूल पटकनै झूठ ई गंगाजी रौ नांव ले लियौ। आ बात जाट नै अणहूंती खारी लागी। पंडतजी नै औळवौ देवतां कहयौ- पंडतजी, म्हैं आपनै म्हारा खास घरू जांण नै मां रा फूल सूंप्या। पण म्हनै रात रा सपनौ आयौ। सपा में मां आयनै म्हने कहयौ - पंडतजी आपरै सासरै ई म्हारा फूल पटक दिया। गंगाजी में घालिया बिना म्हारी गति नीं व्हैं। अबै कीकर ई करनै म्हनै गंगाजी पूगती कर। गंगाजी पुगायां बिना थारौ सगळौ खरचै-खातौ अकारथ जावैला। जाट री बात सुणनै पंडतजी कह्यौ - चैधरीं, म्हनैं तौ थारी मां, लखंणा बायरी ई दीसी। म्हारा सासरा सूं इतौं गौतौं खायनै पाछी अठै गांव कांई खावण नै आई। उठीनै ई सीधी गंगाजी पूग जावती तौ उणनै कुण बरजतौं हौ। थारौ खरचो-खातोै ई सुक्यारथ लाग जावतौ अर उणरी ई गति व्हैं जाती। पण लखणांबायरी लुगायां रौ कोई कांई करै। तबड़का मारती अठीनै नी आयनै उठीनै ई बळ जावती तौ कांई जोर आवतौ। गंगाजी तौ उठा सूं साम्ही नैड़ा हा। पंडत रौ पडूंतर सुणनै जाट घणों सरमीझियौं।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले