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मोबाइल में मायड़ भाषा री गूंज

Rao GumanSingh Guman singh



जालोर। (हिंगलाज चारणआप जिण मोबाइल सूं सम्पर्क करण री कोशिश कर रिया हो वो जवाब कोनी दे रियो है सा। थोड़ी देर पछे कोशिश करो या आप जिण मोबाइल सूं सम्पर्क करण री कोशिश कर रिया हो वो फिलहाल कवरेज क्षेत्र सूं बारे हैं। मोबाइल में अगर इस तरह का मीठा संदेश सुनने को मिले तो चौंकिए मत। आज कल कुछ मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों की ओर से राजस्थानी में इस प्रकार की सूचनाएं मुहैया कराई जा रही है। इससे न केवल मायड़ भाषा का मान बढ़ रहा है, वरन गैर राजस्थानियों के बीच भाषा का प्रचार-प्रसार भी हो रहा है।

मायड़ भाष्ाा को भले ही अभी तक मान्यता नहीं मिली हो, लेकिन मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों ने इसे भाषा का दर्जा दे दिया है। यही कारण है कि गुजराती, मराठी या अन्य किसी स्थानीय भाषा की तरह राजस्थान के मोबाइल उपभोक्ताओं को राजस्थानी में संदेश मिल रहे हैं। मोबाइल की ऑटोमेटिक टेली मेन्यूलिंग सिस्टम में अब राजस्थानी को जगह मिल गई है। किसी उपभोक्ता का मोबाइल बंद हो, कवरेज क्षेत्र से बाहर या वह जवाब नहीं दे रहा है तो इसकी तमाम तरह की सूचना राजस्थानी मेे मिल रही है। हालांकि यह सेवा सुविधा अभी तक कुछ ही सेवा प्रदाता कंपनियों ने शुरू की है।

समझ बढ़ेगी

राजस्थान में राजस्थानी बोलने वाले रहते हैं ऎसे में मोबाइल कंपनियों का यह कदम सराहनीय है। इससे राजस्थानी का प्रचार तो होगा ही। गांवो में रह रहे ग्रामीणों को भी सही व सटीक जानकारी मिल पाएगी। इससे भाषा का मान बढ़ा है। भाषा की मान्यता के लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे।
- लालदास राकेश, राजस्थानी साहित्यकार

भाषा का मान बढ़ा

आज का जमाना तकनीक का है। मोबाइल की यह सुविधा करोड़ों लोगों तक राजस्थानी को पहुंचा रही है। यह बहुत बड़ी बात है। इससे भाषा का तो फायदा होगा ही यहां के लोगों में अपनापन भी बढेगा। राजस्थानी बहुत ही समद्ध भाषा है।
- अर्जुनसिंह उज्जवल, व्याख्याता राजकीय महाविद्यालय जालोर
फायदा होगा

मोबाइल की दुनिया में जगह मिलने से भाषा को प्रचार-प्रसार होगा। यह बहुत ही अच्छी पहल है। इससे ग्रामीण लोगों को सूचना के समझने में काफी फायदा होगा। राजस्थानी के लिए भी गर्व की बात है। हम सभी लोगों को मिलकर इसकी मान्यता के लिए प्रयास करने होंगे। 
- शैतानसिंह काबावत, जिला पाटवी, राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति चिन्तन परिषद