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याददासत नव कोटां री

Rao GumanSingh Guman singh


(मुंहता नैणसी री ख्यात सुंवत १६६५ सूं १७५५ तांई)
१-बाहड़मेरः- मुदै केराड़ू कहीजै छै। धरणीवाराह री बैसणौ छै। भाखर मांहै ऊंड़ी जायगा छै। देहुरा जिण समै रा छै। गांव ७०० जैड़ा ळागे।

२-आबूः- आल्ह पाल्ह पंवार रौ बैसणौ छै।असळगढ़ नांव छै। जिकौ गढ़ असळेश्वर मादेव रै नांवै छै। पंवारां नै मारनै चहुवांणां लीयौ। गांव ५४० ळागें।

३-पारकरः- हांसू पंवारां रौ बैसणौ। काछ अड़तौ, चवदै वेढ़ी कहीजै।घणी धरती ळागें छै। हमार सोढ़ा राज करै छै। राधणपुर रा हाकम नुं मिळै छै। सूराचन्द परै कोस चाळीस छै। रांणा सोढ़ा कहीजै। बरसाळी रौ देस छै।ऊनाळी ऊहीं(साधारण)।


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सपना तूं सोभागियो

Rao GumanSingh Guman singh


सुपने में प्रीतम मिल्या, हूँ लागी गळ रोय।
डरपत पलक न खोळ ही, मत बिछोहो होय॥

जिण
ने सुपने देखती, प्रगट भया पिव आय।
डरती आंख न मूंदहीं, मत सुपनो हुय जाय॥

सुपना तोहि मरावसूं, हिये दिरावूं छेक।
जद सोवूं तद दो जणां, जद जागूँ तद एक॥

हूंता सखी मौ हीवडै, सायणां हंदा हत्थ।
जो सपनो सांचौ हुवै, सपनो बड़ी वसत्त॥

सुपने प्रियतम मुझ मिल्यां, हूँ ळागी गळ रोय।
डरपत पळक न खोल ही, मत सपनो हो जाय॥

सुपनो आयो फिर गयो, मैं सर भरिया रोय।
आव सुहागण नींदड़ी, वळि पिउ देखूं सोय॥

सपना तूं सो भागियो, उत्तम थारी जात।
सो कोसां साजण वसै, आण मिलावै रात॥