सुपने में प्रीतम मिल्या, हूँ लागी गळ रोय।
डरपत पलक न खोळ ही, मत बिछोहो होय॥
जिण ने सुपने देखती, प्रगट भया पिव आय।
डरती आंख न मूंदहीं, मत सुपनो हुय जाय॥
सुपना तोहि मरावसूं, हिये दिरावूं छेक।
जद सोवूं तद दो जणां, जद जागूँ तद एक॥
हूंता सखी मौ हीवडै, सायणां हंदा हत्थ।
जो सपनो सांचौ हुवै, सपनो बड़ी वसत्त॥
सुपने प्रियतम मुझ मिल्यां, हूँ ळागी गळ रोय।
डरपत पळक न खोल ही, मत सपनो हो जाय॥
सुपनो आयो फिर गयो, मैं सर भरिया रोय।
आव सुहागण नींदड़ी, वळि पिउ देखूं सोय॥
सपना तूं सो भागियो, उत्तम थारी जात।
सो कोसां साजण वसै, आण मिलावै रात॥
डरपत पलक न खोळ ही, मत बिछोहो होय॥
जिण ने सुपने देखती, प्रगट भया पिव आय।
डरती आंख न मूंदहीं, मत सुपनो हुय जाय॥
सुपना तोहि मरावसूं, हिये दिरावूं छेक।
जद सोवूं तद दो जणां, जद जागूँ तद एक॥
हूंता सखी मौ हीवडै, सायणां हंदा हत्थ।
जो सपनो सांचौ हुवै, सपनो बड़ी वसत्त॥
सुपने प्रियतम मुझ मिल्यां, हूँ ळागी गळ रोय।
डरपत पळक न खोल ही, मत सपनो हो जाय॥
सुपनो आयो फिर गयो, मैं सर भरिया रोय।
आव सुहागण नींदड़ी, वळि पिउ देखूं सोय॥
सपना तूं सो भागियो, उत्तम थारी जात।
सो कोसां साजण वसै, आण मिलावै रात॥
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