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इण वास्ते रोया जवांई सां

Rao GumanSingh Guman singh

अैक बांणिया रो जंवाई मुकलावौ लावण सारू सासरै गियौ। सासरे में जंवाई रा लाड़-कोड़ करण सारू आगती-पागती री लुगाया कमरा रै माय बुलायौ। घणा इ गीत गाया, घणा ई लाड़-कोड़ करिया अर घाणा ई ख्याल-तमासा बताया। जंवाई रै आगती-पागती लुगायां रौ थट लगौड़ो हौ। रूपाळा जंवाई रौ रूप् निरख-निरखनै सगळी लुगायां घ्ज्ञणी ई राजी व्हीं। इता में एक छोटी-सी डावड़ी जवांई री सासू नै अेक कागद लायनै दियौ। लुगायां तौ भणियोड़ी ही नी। जंवाई सूं कांई चोज। वौ तो घर रा बेटा ज्यूं हैं। आ सोच ने सांसू जर्वाइ नै बांचण सारू कागद पकड़ाय दियौ। जंवाई कागद खोलनै आपरै साम्हीं करियौ। थोड़ी ई टेम रै पछै जंवाई रा दोनूं हाथ थर-थर धूजण लागा। अर ठळाक-ठळाक उणरी आंख्या सूं आंसू बैवण लागा। धूजता हाथौ सूं कागज नीचै पर्डग्यौ। रोवण रै समचै जंवाई रौ मूूंड़ो अेकदम काळै-मिट पडग्यौ। जंवाई रौ औ ढालौ देख्यौ तो लुगाया रा तौ धै छिलग्या। वै जाण्यौ के कोई भूड़ा समचार आया हैं। जंवाई नै रावतां देखनै सबसूं पैली उणरी सास रोवण लागी। पछै आगती-पागती री लुगाइयां। सारा घर में हाय-त्राय मचगी। बिना मरणा री खबर रै जंवाई रौवता थेड़ा ई। आज रै सुभं दिन कैड़ी अमंगल सुणावणी आई। जोग री बात। घर में रावणौ सुण्यौ तै तुरत आड़ौस-पाड़ौस री लुगाया ई रोवती-रोवती सेठां रै घरे आई। अचांणचक आ कांई अजोगती बात व्हीं ? कुण चलियौ ? किणी री साज-मांद तौ सुणई ई नीं हीं। घरवाळी लुगायां जवाब दियौ-कंवरसा नै रोवता देख्या तौ म्हां ई रोवण लागी। म्हांने ई ठाह कोनी के कुण चलियौ अर कुण नीं चलियौ। घरवाला डरता-धूजता आया अर पूछ्यौ-कांई बात व्ही ? आंे रोवणौ-रिंकणौ क्यूं मांड़िया ? की म्हानै ई ठाह पड़ेे। सैठाणी रोवतो-रोवतो कहयौं कंवरसा रा हाथ मंे कागद हैंख् उणनै बांच्यां आपनै सगळी बात ठाह पड़ जावैला। जल्दी बांचै। कंवरसा तौ दुख रा मार्या की बोल ई नीं सकै। संचांणी जंवाई तो अधमरियों सौ व्हैगा। तद सेठ लड़खड़ावती वांणी में पूछ्यौ-कंवरसा कांई बात व्हीं ? आप कागद बांचनै राया क्यूं ? तद जंवाई अटकतौ-अटकतौ कैवण लागौ-म्हैं कागद बांचनै नीं रौयौ। कागद बांचणी आवतौ तौ म्हैं रोवर्ता ई नीं। पढ़ण रा दिनों में म्हैं तबड़का देवतौ रोवतौ फिरयोंै, जिण सूं म्हनै आज रोवणौ पड़ियो। अणभणियां रां जीवण बिचै तौ मरणौ आछौ। जंवाई री बात सुणनै लुगायां खिल-खिल हंसण लागी।


पिंजारै री चतराई

Rao GumanSingh Guman singh

एक गांव में एक पिंजारौ रैवतो हो। एकर उणरी लुगाई उणसूं कह्यों कै आज - काळ अठै कोई काम धंधों नीं हैं, इण सारू सहर जावौ अर कमावौ। पिंजारौ आपरी धुनकी अर दूजौ सामान लेयर सहर री कानी निकळियोै। चालता-चालता वौ जंगल मांय पूगिग्यों, वठै उणनै एक सैर आवतौ दिखियौ। पिंजारौ ने दैखिओ अर सैर पिनारै नै। दोंनां एक दूजै सूं डर गिया।पिंजारै कंधै माथै धुनकी देख सेर सौचियौ कै मोटो सिकारी आयौ हैं, लूंठा अस्त्रर-सस्त्रर लायौ हैं। म्हैं तो आज तक अेड़ा अस्त्रर नीं देखिया, ओ तो म्हारी जान लेने हीं चुप व्हैला। पिजांरे री जान निकलरीहीं। इतरा में वठै एक गीदड़ आयो। वो दोनो री मनोदसा समझगियों। वो सेर रै कनै पूंगौ अर कहयौ मामा, आज यूं किकर पूंछ दबायनै खड़ा हौ ? सेर पूरी बात बताय दी। गीदड़ तो चालाक हो हीं, वो कह्यों, मानों नीं मानो आ मिनख हैं तो न्यारौ, पण म्हैं इणसूं थ्हारौ जीवण बचा सकू। पण म्हारी एक बात माननी पड़ैला, म्हनै जंगल मय घूमण फिरण री छूट देन पड़ेला। सैर तो ड़रियोड़ो वो हाथां हाथ बात मान ली। पछै गीदड़ पिंजारै रै पास पूगा। पिंजारौ आपरा हाल बताया। गीदड़ सेर सूं जीवन बचावण रौ आस्वासन दियो, पण सागै कहयौ कै म्हारीं सरत माननी पड़ैला। जद सेर अठा सूं जावैला जणै म्हैं थ्हारा सरीर पर जठै चाहूं ला, वठै दों बटका भर लूं ला। पिंजारौ सोचियों जान जावण सूं बढ़िया कै गीदड़ दरी बात मान लूं। ज्यूं ही पिंजारौ हां भरियौ, गीदड़ सेर कानी इशारौ करियौ तो वो वठा सू भाग गियौ। अबै गीदड़ पिंजारै नै पूरौ देखियौ। उणरै कठी मांस नीं दिखयौ छाती माथै मांस उभरियोड़ौ उनणै दिख गयौ। गीदड़ पिंजारे सू कह्यों, म्हैं थ्हारीं छाती माथै दो बटका भरूंला। सेर सूं डरियौड़ै पिंजारौ आपरौ कुरतोै उपरै उठायौ जणै दीखी। वो पिंजारै सूं माजरौ पूछिया ? उणरै भेजा मांय एक युक्ति आई, वौ कह्यों इणरै मायंे एक कुतौ घुसगियौ है, थ्हनै देख अर भौक रियौं है, मै किणी तरै इणै बारै आवणसूं रोकियों हूं, पिंजरै री बात सुणता हीं गीदड़ रा हौस उड़ गिया, वौ पूंछ ददबार वठा सू भाग गियौ। अबै पिंजारै री जान में जान आई, अर वो झट झट सहर पूग गयौ।