'जैड़ी दीख वैड़ी सीख, जैड़ी खांण वैड़ी बांण
जैडौ वास वैड़ौ अभ्यास, जैड़ौ दीजै वैड़ौ लीजै
जैड़ी रात वैड़ा परभात, जैड़ी करणी वैड़ी भरणी'
राजश्री,
इण सबदों रे साथे दिपावळी परब रौ घणों-घणों रामा-सामा
आपरौ-
राव गुमानसिंघ
रानीवाड़ा(मारवाड़) भारत
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले