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दिपावळी परब रा रामा-सामा....

Rao GumanSingh Guman singh


'जैड़ी दीख वैड़ी सीख, जैड़ी खांण वैड़ी बांण
जैडौ वास वैड़ौ अभ्यास, जैड़ौ दीजै वैड़ौ लीजै
जैड़ी रात वैड़ा परभात, जैड़ी करणी वैड़ी भरणी'

राजश्री,
इण सबदों रे साथे दिपावळी परब रौ घणों-घणों रामा-सामा

आपरौ-
राव गुमानसिंघ
रानीवाड़ा(मारवाड़) भारत

चांदड़ळै री निरमळ रात

Rao GumanSingh Guman singh


चांदड़ळै री निरमळ रात
आधी रा सरवर सांचरी ऒ रांम।
रांमजी सांमी धकिया नंदजी रा लाल
म्हांनै गाय दूवाड़ौ छाळरी ऒ रांम।
रांमजी लांबी लांबी दूधड़लै री धार
म्हारी चूंदड़ होयगी चीगटी ऒ रांम।
रांमजी जायोड़ै नै बरज नै राख
म्हनै (गूजरियां) जणी जणी देवै ऒळबा।
बहू ऐ गूजरियां री जात कुजात
सांची री झूठी भेळ दै ऒ रांम।

(चक्की चळावा बां टेम रो लोकगीत)