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राखी पथ मरजाद, सेवक इसरदास री।

Rao GumanSingh Guman singh

हिरा वैरागर हुएं, चारण मारु देस।
भाट फिटक संखोटिया, कोहमी सकळ परवेश।।

जो न जळमतो जोगडो, तो कुण आ रीझ करंत।
मांगण मेढीं बैल ज्यूं, मूंडो बांध मरंत।।

जोगो किणी न जोग, सजोगो कियो सकव।
लाठा चारण लोग, तारण कुल सत्रियां तणौं।

नदी बहतों जाय, साद ज सांगरिएं दियो।
केजो म्हारी मांय ने, कवि ने देवे कांबळी।।

इसर री आवाज, सांगा जळ थळ सांभलै।
कांबळ दैवण काज, वैगो कर जळ वीस वयंण।।

सांगो गौड़ सिरै, थासू यदुनाथ ठाकरां।
इणरी रीस न थाय, दे उणरा देवळ चढै।।

दिनी रजा यदुनाथ, सांगा ने बाछां समेत।
राखी पथ मरजाद, सेवक इसरदास री।।