कर हेत झाली कलम ने , धरे सरसती ध्यान !!
महर कर शारद मीर ने , सदबुध दिजो शान !!१!!
गिरिजा सतन गुणेश को , मनसूं लेऊं मनाय !!
कारज पुरण किजीयो , ऊमासुत झट्ट आय !!२!!
सब देवन की शरण में , म्हें अब नमावूं माथ !!
गुण रामरा गावस्यूं , सबेही रहीजो साथ !!३!!
मनउजळ दशरथ महपति , रघुकुळ अनमी रूप !!
परम न्याय नीति प्रिय , भलपण वंकोज भूप !!४!!
राजा रे त्रय रांणीयां , कौशल्या प्रथम कहाय !!
केकई सुमित्रा कांमणी , भूपत रे मन भाय !!५!!
जनम धरेया जद जगत में , लायक च्यारूं लाल !!
मन हरखावे मेदनी , त्रंबागळ वाजेया ताल !!६!!
गीत राग शुभ गावणो , अवध घणो उछरंग !!
वाजा छत्रीसे वाजिया , सुर ताल लय संग !!७!!
दशरथ रा दरबार में , गावे ज गायक गीत !!
दान मान सब देवणो , राज तणी आ रीत !!८!!
तिण पळ विप्र तेड़ावियो , दन चढते घटी दोय !!
पांचे ही अंग पंचांग रा , जोशी विध कर जोय !!९!!
जोशी पोथी जोवतां , हरख वधे मन हेत !!
दशरथ छोळ दरियाव ज्यूं , दान प्रगळो देत !!१०!!
मीठा मीर डभाल
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले