साहित घणो सोवणो कथा गीत सतसंग!
कविता फड़ कहानिया रंग रे डिंगल रंग!!
फ़ाग घणा ही फूटरा चकरी सागे चंग!
गणगोरया रा गीतड़ा रंग रे ड़िंगळ रंग!!
सूरा तणा शुभराज जब्बर लड़ी जो जंग!
निति रीती नित नेम रंग रे डिंगल रंग!!
कामण री संणगार आ, कमधजां सहैरो चंग।
हीङदै हिलौर उठावणी, तौ रंग रे डिगंळ रंग।
बालकिया बिलवावणी, किलक किशोरां संग।
उमंग आदू भरण तन, तौ रंग रे डिगंल रंग।।
ब्रहम शब्द वणीजन अरथ, क्षत्रियां तणी खङंग।
सुदरां सेवा लेवणी, तौ रंग रे डिगंल रंग।।
पांगां पहाङ चढावणी, मुक गुवाण सुरंग।
जरा जङां तन मेटणी, तौ रंग रे डिगंळ रंग।।
यूवां जुबा जंणकारणी, डणकां जोधां डंग।
लहूरां लाडियां लैवणी, तौ रंग रे डिगंळ रंग।
कायर हीणा कंथ ने ,जब्बर लङावणी जंग।
हार पलङ कर जीत दे ,तौ रंग रे डिगंळ रंग।।
भय भंजण अरियां हणण, हामियां जीतण जंग।
पिसांचा पछाङणी, तौ रंग रे डिगळ रंग।
राव चारणां बांमणां, मांगणियार मलंग।
सहज संवारी सूफियां, रंग रे डिंगल रंग॥
वातां ख्यातां वेलियां, परवाड़ा परसंग।
रम्मत रमझोल़ां रची, रंग रे डिंगल रंग!!
जात पांत जांणै नहीं, सकल मानवी संग।
नेह निरखियां नत नमै, रंग रेे डिंगल रंग॥