पग पग भम्यां पहाड़, धरा छांड़ राख्यो धरम।
'महाराणा' र 'मेवाड़', हिरदै बसिया हिंद रे॥
सकळ चढावै सीस, दान धरम जिणरो दियो।
सो खिताब बगसीस, लेवण किम लळचावसी॥
दिया सत्रुवां दाह, सांचा भड़ रखिया सदा।
लाखां सीस लियाह, वाज्या धन धन सीसवद॥
उरा थरिंदां आंपणां, सीस घुणिन्दां साह।
रुप रखिन्दा राण रा, वाह गिरिन्दां वाह॥
धर बांकी दिन पाधरा, मरद न मूकै माण।
धणा नरिन्दा घेरियो, रहै गिरंदां राण॥
अकबर जासी आप, दिल्ली पासी दूसरा।
पुनरासी परताप, सुजस न जासी सूरमा॥
गिर पुर देस गमाड़, भमिया पग पग भाखरां।
मह अंजसै मेवाड़, सह अंजसै सीसोदिया॥
समंदर पूछै सफ्फरां, आज रतंबर काह।
भारत तणै उमेदसी, खाग झकोळी आह॥
राहब उटठ कमाणगर, मूंछ मरोड़ न रोय।
मरदां मरणों हक्क है, रोणो हक्क न होय॥
सत री सहनाणी चही, समर सळूंबर घीस।
चूड़ामण मेळी सिया, इण धण मेल्यो सीस॥
सीता ना रावण सको, दोप्रद कीचक देख।
अकबर काम उमीठियो, इण सींसोदण एक॥
अकबर देख अचाणचक, भई न तिल भर जीत।
नीरोजै नर नाहरी, जबर लियो जस गीत॥
दुरगो आसावत रो, नित उठ बागां जाय।
अमळ औरंग रा ऊतरे, दिल्ली धड़का खाय॥
बीज चंद सी बकड़ी, खड़ी खड़ी भ्रह खूंच।
टणकापण री तखतसी, मारै हेळा मूंह॥
उजड़ चाळे उतावळो, रोही गिण न रन्न।
जावे धरती धूंसतो, धन्न हो घोड़ा धन्न॥
(मेवाड़ री महिमा)
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले