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राजस्थांन दिवस

Rao GumanSingh Guman singh

राजस्थांन दिवस मनावण री मन मांय उमक जागी, अेक’र पाछौ टटोळ्यौ जकौ पोसाळां मांय बांच्यौ हौ. राजस्थांन कंया बण्यौ अर इणरौ इतिहास कांई हौ.

सब देख’र लागौ कै फक्त इणरौ नांव इज राजस्थान पड़‌यौ छै, राजस्थान मांय रेवणीयौ राजस्थानी कुहावै पण वौ ई फक्त नांव रौ राजस्थांनी, उणनै उणरी भासा अर संस्क्रती सूं हेत राखण रौ हक ईं नीं दियौ भारत सरकार.

सरदार पटेल राजपुतानै रै सगळा राजावां नै लाळा-लुंभा करनै अर वांनै वांरी अर वांरै रईयत (प्रजा) री भलाई बताय’र भारत मांय विलय वास्तै राजी कर दिया. इणरै साथै ईं अठा री संस्क्रती, अठा री सभ्यता, रीति रिवाज सैं कीं खतम कर दियौ. भारत मांय विलय रै साथै ईं आपां आपणी हजारूं बरसां री परंपरा, भासा अर संस्क्रती रौ राष्ट्रीय अेकता अर अखंडता रै नांव पर आपां समर्पण कर दियौ.

राजस्थांनी भारत मांय सबसूं विशाळ भाग मांय बोली जावण वाळी भासा छै. आ भासा आखै राजस्थांन, मध्य प्रदेश रै माळवै, उत्तर गुजरात, पाकिस्तान रै सिंध, थारपारकर अर पंजाब रा घणकरा इलाकां, हरियाणा अर इणरी अेक बोली गुजरी तौ कश्मिर, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चेकोस्लाविया अर सोवियत रुस रा घणकरा देसां मांय बोलीजे.

भारत सरकार राजपुतानै नै राजस्थांन नांव तौ दे दियौ, पण राजस्थांन रा प्राण अठा री भासा नै मानता नीं दी. राजस्थांन री सगळी बोलियां सूं मिळ’र जै भासा बणै वा अेक राजस्थांनी नै इण री बोलीयां रै हिसाब सूं तोड दी अर इणनै हिंदी भासा री अेक बोली बताय दि.

भारत सरकार नै औ डर ई सतावै कै जिण हिंदी भासा नै राष्ट्रभासा बणावण रौ वा सुपणां देखै छै, अर बोलै छै कै आ भासा दुनीया री तीजी सबसूं ज्यादा बोली जावण वाळी भासा छै. राजस्थानी भासा नै मान्यता मिळ जावै तौ इण भारत सरकार री आ बात झुठी हु जावै, क्युं कै राजस्थांनी अेक स्वतंत्र भासा रै रुप मांय भारत री सबसूं ज्यादा बोली जावण वाळी भासा छै.

राजस्थान रै भारत मांय विलय सूं राजस्थांन नै अेक हिसाब सूं गुलामी इज हाथ लागी है. भारत मांय रेवता राजस्थांनीयां नै आपरी भासा वापरवा रौ इधकार कोनीं, जिणसूं वांनै वांरै राज्य मांय भासा रै आधार पर मिलण वाळा सगळा हकां सूं हाथ धोवणा पडे छै. राजथांनीयां नै वांरै खुद रै राज्य मांय नौकरी नीं मिळै. दूजा राज्यां रा हिंदी भासी आय’र अठै नौकरी करै अर आपणा राजस्थांनी भाई प्रदेसा कांनी न्हावै.

दूजी कांनी पोसाळां मांय शिक्षा हिंदी भासा मांय हुवण सूं टाबरां नै भणाई मांय तकलिफ आवै. टाबर डाफाचुक व्है जावै कै, घरै तौ वौ दूजी भासा बोलै अर पोसाळां मांय दूजी भासा छै. वौ खुद री भासा नै हिनता री निजर सूं देखण लागै. अेड़ौ टाबर ना तौ हिंदी बराबर सिखै ना ई राजस्थांनी रौ ग्यान हुवै. सेवट ૪-૫ पास करनै वौ पोसाळां (स्कुलां) छोड’र प्रदेशां कांनी मुंडो करै.

राजस्थांन रै भारत मांय विलय सूं अठा रै मानखां नै बेरोजगारी मिळी, लोगां नै आपणी भासा-संस्क्रती रै प्रती हिन भावना मिळी. पछै बतावौ कैड़ौ राजस्थांन दिवस. हकिकत मांय तौ ૩૦ मार्च नै राजस्थांन वासियां नै काळा दिन रै रुप मांय मनावणौ चाईजै. लोग केह्‌वै इण दिन राजपुतानै री सगळी रियासतां आपस रौ बैर भुलाय’र अेक हूगी, ना आ बात नीं है, राजस्थान सूं पैली जद राजपुतानौ हौ उण समै अेकता अबार रै राजस्थान करता वधारै ही, हर रियासत री राजभासा राजस्थानी ही. लोगां रै कन्नै रुजगार हौ अर आपसरी मांय घणौ भाईपौ हौ.

रहसी राजस्थान, राजस्थानी राखिया ।
Posted by हनवंतसिंघ at 2:00 AM