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थारे ही पाण, कर लियो सीणगार- Siya Choudhary

Rao GumanSingh Guman singh

थारे ही पाण, लगा लिया पाँखङा
उभगी मेङी पर, पण
क्यों डरपे है काळजो
उङबा का नाँव सूँ...

थारे ही पाण, कर लियो सीणगार
बेठगी डोली में, पण
क्यों घभरावे है जीव
बी अणजाणा गाँव सूँ...

थारे ही पाण, बांध लियो भरोसो
चाल पड़ी ला’र, पण
क्यों रुक झुक खरुँचू
आस री जमी पांव सूँ...!!!
-सिया चौधरी

(एक छोटी सी कोशिश, उनके लिए..जिन्होंने मुझे फिर से लिखने की प्रेरणा दी J )

चंचल नार के नैन छिपे नहीं- कवि गंग की कुछ रचनाएं

Rao GumanSingh Guman singh

तारो के तेज में चन्द्र छिपे नहीं
सूरज छिपे नहीं बादल छायो
चंचल नार के नैन छिपे नहीं
प्रीत छिपे नहीं पीठ दिखायो
रण पड़े राजपूत छिपे नहीं
दाता छिपे नहीं मंगन आयो
कवि गंग कहे सुनो शाह अकबर
कर्म छिपे नहीं भभूत लगायो।



माता कहे मेरो पूत सपूत
बहिन कहे मेरो सुन्दर भैया
बाप कहे मेरे कुल को है दीपक
लोक लाज मेरी के है रखैया
नारि कहे मेरे प्रानपती हैं
उनकी मैं लेऊँ निसदिन ही बलैया
कवि गंग कहे सुन शाह अकबर
गाँठ में जिनकी है सफेद रुपैया



जिनके हिरदे श्री राम बसे फिर और को नाम लियो ना लियो
कवि गंग कहे सुन शाह अकबर इक मूरख मित्र कियो ना कियो



एक बुरो प्रेम को पंथ , बुरो जंगल में बासो
बुरो नारी से नेह बुरो , बुरो मुरख में हंसो
बुरो सूम की सेव , बुरो भगिनी घर भाई
बुरी नारी कुलक्ष , सास घर बुरो जमाई
बुरो ठनठन पाल है बुरो सुरन में हंसनों
कवि गंग कहे अकबर सुनो एक सबते बुरो माँगनो



कवि गंग या 'गंग कवि' (1538-1625 ई.) का वास्तविक नाम गंगाधर था। वे अकबर के दरबारी कवि थे।

धन म्हारा देश बीकाणा,

Rao GumanSingh Guman singh

खेताँ में होज्या म्हारे मोठ,बाजरो नहीं परदेशा जाणा रे 
घरे में तो म्हारे गायां भेंस्यां दूजे, और दूध दही का खाणा रे
घर की लुगायां म्हारे काम कर लेवे बे चुग ल्यावे लकड़ी छाणा रे 
चोक्यां पर बेठ्या म्हे मौजा मारां, भरा चिलमडी में पाना रे
माँ बाप की नीयत बिगडज्या, जद आवे पुलिस और थाना रे
पिसा लेकर बेटी परनावे जद बीन परणीजे काणा रे

मनडे री बात करल्यां पिया आवो तो

Rao GumanSingh Guman singh

बाटडल्यां थारी जोवती
म्हारी आँखडल्यां दिन-रात
आवो म्हारा सायबा
तो कोई करल्यां मनडे री बात

पिया आवो तो, 
हो जी पिया आवो तो
मनडे री बात करल्यां 
पिया आवो तो

थांकी बातडल्यां में 
आज पूरी रात करल्यां
थांकी बातडल्यां में 
आज पूरी रात करल्यां 

पिया आवो तो
मनडे री बात करल्यां 
पिया आवो तो

आजा रे आजा मतवाळा ढोला
आया सरसी.......
मनडे री प्यास तो बुझाया सरसी
मनडे री प्यास तो बुझाया सरसी

पिया आवो तो
मनडे री बात करल्यां 
पिया आवो तो

परदेशी थारी ओळु घणी आवे
परदेशी थारी ओळु घणी आवे
पागल मन ने कुण समझावे
पागल मन ने कुण समझावे
पायल छम चाम शोर मचावे
पायल छम चाम शोर मचावे
हाथां रा कंगना थाणे ही बुलावे

चंदा चांदनी सुं
हो जी चंदा चांदनी सुं
थांको म्हाको साथ करल्यां
चंदा चांदनी सुं 

थांकी बातडल्यां में 
आज पूरी रात करल्यां
थांकी बातडल्यां में 
आज पूरी रात करल्यां 

पिया आवो तो
मनडे री बात करल्यां 
पिया आवो तो

आजा रे आजा मतवाळा ढोला
आया सरसी.......
सावणीये में लहरियों लंगाया सरसी
सावणीये में लहरियों लंगाया सरसी