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कायरड़ा मंजन करै(kayar manjan kare..)

Rao GumanSingh Guman singh

जीमण पांत जठेह मिल भड़ आवे मोकळा।
तणियां खाग तठेह मांडे पैंड़ न मोतिया॥

मंजन करे सधीर मन सूरां धारां सार।
कायरड़ा मंजन करै आंसू धार मझार॥

मूंछ नाक सिर रो मुकुट ससतर साम सनाह।
साबत लायो समर सूं कै नहं लायो नाह॥

मूंछ केस खंडत नहीं नाक न खंडत कोर।
पड़ी पुळंता पाघड़ी सुकुलीणी तज सोर॥

सेहणी सब री हुँ सखी दो उर उळटी दाह।
दूध लजाणो पूत सम वळय लजाणौ दाह॥

मणिहारी जा री सखी अब न हवेली आव।
पिव मूवा घर आविया विधवा किसा बणाव॥

यो गहणो यो बेस अब कीजै धारण कन्त।
हूं जोगण किण काम री चूड़ा खरच मिटंत॥

बिन मरियां बिन जीतियां धणी आविया धाम।
पग पग चूड़ी पाछटूं जे रावत री जाम॥