एक पठान नै घोड़ा री जोरदार पैचाण की। पण किणी कारणा सूं उणनै धंधा में घाटो व्हैगियो। उणरी मां रै कन्नै थोड़ा रिपिया बचायोड़ा हां । एक दिन पठान मां सू रिपिया लिया अर घोड़ा लेवण सारू निकलियो। घणो घूम्यो पण उणनै कोई घोड़ो रास नी आयो। फिरतो-फिरतो वो एक रात धोबी रै घरे रूकियो। रात राा उणनै लक्खी घोड़ा री टाप सुजीणी। वो प्रकास करनै देखियो तो धोबी रे गधां रै माय एक बछड़ो हो। दिनूगै वो दस रिपिया में बछड़ो धोबी सूं ले लियो। वो उणनै खिलायो पिलायो। एक बरस में वो मोटो तगड़ो व्हैगियो। वो उणनै बेचण सारू बादसाह रै कनै गियो। बादशाह रै कनै एक आलिम आयोड़ो होद्ध वो एक तीर सूं निशाने लगा मोर रो चितराम बणा दियो। बादसाह उणरै एक सेर आटा अर पइसा भर घी रोज बांध दियो। पछेै वो चितराम दिखाया तो उणरै पांच कपड़ा बणवा दिया। उणनै दुख व्यिहों कै राजा उणरो मान बिगाड़ दियो। एक दिन बादसाह री सवारी निकली पठान आपरा घोड़ा लेयर शामिल व्यिहों।् पारसी बादसाह सूं कह्यो लक्खी घोड़ा री टाप सुनाई देवे है। बादसाह उणसूं घोड़ो ढूंढ़ लावण रो कहïïयो। परखी घोउड़ो राजा रै सामी हाजिर कर दियो। बादशाह नै घोड़ा घणो पंसद आयो। पारखी नै इनाम रै रूप में एक चारपाई दिलवा दी अर पठान सूं सवा लाख रिपिया में घोड़ो खरीद लियो। एक दिन उस्ताद कहï्यों म्हैं एक हुनर जाणूं। म्हैं मिनख देख बता सकूं कै वो मां-बाप री औलाद हैं या वर्णसंकर। बादशाह कह्यों तड़के म्हारे दरबारियां री पैचाण करजे। रात रा सगला दरबारी पारखी रै घरै पूग्या अर उणनै घणा रूपिया देयर आपरी बात कैवण सारू राजी करियो। पारखी दूजै दिन दरबार में बादसाह सू कहïï्यो आप भटियारा रा बैटा हो। झूठ बोलू तो मां नै पूछ लिरावो। बादसाह उणी टैम आपरी मां सू साची बात पूछण लागौ। मां कहï्यों-बेैटा तू थारे बाप रो हीं पण सामी एक भटियारो रैवतो व्है सके उणरी छाया पडग़ी हों। वो पारखी सू राज पूछयों जणै वो कहियो कै आप जिको इनाम दियो उणसूं आ बात जाणी। बादशाह नै घणी सरम आई वो पारखी नै घणो इनाम दे विदा करियो।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले