हिरा वैरागर हुएं, चारण मारु देस।
भाट फिटक संखोटिया, कोहमी सकळ परवेश।।
जो न जळमतो जोगडो, तो कुण आ रीझ करंत।
मांगण मेढीं बैल ज्यूं, मूंडो बांध मरंत।।
जोगो किणी न जोग, सजोगो कियो सकव।
लाठा चारण लोग, तारण कुल सत्रियां तणौं।
नदी बहतों जाय, साद ज सांगरिएं दियो।
केजो म्हारी मांय ने, कवि ने देवे कांबळी।।
इसर री आवाज, सांगा जळ थळ सांभलै।
कांबळ दैवण काज, वैगो कर जळ वीस वयंण।।
सांगो गौड़ सिरै, थासू यदुनाथ ठाकरां।
इणरी रीस न थाय, दे उणरा देवळ चढै।।
दिनी रजा यदुनाथ, सांगा ने बाछां समेत।
राखी पथ मरजाद, सेवक इसरदास री।।
Father day
-
-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
1 हफ़्ते पहले
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
नमस्कार,
राजस्थान से नित्य-प्रति अनेक चिट्ठे (ब्लॉग) लिखे जा रहे हैं। हम जैसे अनेक हैं जो उनको पढ़ना चाहते हैं। खासकर चुनिंदा ताजा प्रविष्ठियों को।
परंतु दिक्कत ये आती है कि एक जगह सभी की सूचना उपलब्ध नहीं है। कुछ प्रयास भी इस दिशा में हुए हैं और कुछ चल भी रहे हैं।
हमने 'राजस्थान ब्लॉगर्स' मंच के माध्यम से एक प्रयास आरम्भ किया है। ब्लॉग एग्रीगेटर के रूप में। इसमें आपकी ताजा लिखी पोस्ट दिखेगी, बशर्ते आपका चिट्ठा इससे जुड़ा है।
अगर आप अब तक नहीं जुडे़ तो
http://rajasthanibloggers.feedcluster.com/
पर क्लिक कीजिए और
Add my blog
पर जाते हुए अपने ब्लॉग का यूआरएल भरिए।
आपका ब्लॉग 'राजस्थान ब्लॉगर्स' से शीघ्र जुड़ जाएगा और फिर मेरे जैसे अनेक पाठक आपकी पोस्ट तथा आपके ब्लॉग तक आसानी से पहुंचेगें।
कृपया साझा मंच बनाने के इस प्रयास में सहभागिता निभाएं।
आप भी जुड़ें और राजस्थान के अपने दूसरे मित्र ब्लॉगर्स को भी इस सामग्री की कॉपी कर मेल करें।
सूचित करें।
नित्य-प्रति हम एक-दूसरे से जुड़ा रहना चाहते हैं। ब्लॉगिंग का विस्तार ही हमारा ध्येय हैं।
सुझाव-सलाह आमंत्रित है।
सादर।
दुलाराम सहारण
चूरू-राजस्थान
www.dularam.blogspot.com