चढ़ो मग्रप महामाया, चामुण्ड़ा चिरताळी।
मद री छाकां छक र माता, धार त्रिसूळ धजाळी।
चंड-मुंड, भड़ राकस चंड़ा, मार दिया मतवाळी।
आज सैकड़ां राकसड़ां मिल, मचा रिया पैमाळी।
जद-जद हुई धरम री हाणी, धारी खड़ग भुजाळी।
रजवट वट प्रतपाळक देवी, जय अंबे जय काळी॥
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
8 माह पहले
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