ऐक सेठ री छोरी रौ ब्याव हौ। बारात आई तो छोरी वाला धूमधाम सूं सत्कार करियौ। छोरा वाला मालदार हा, पण बींदणी सारू गैहणौ-गांठौं नीं लाया हा। गैहणा रै ठौर रोकड़ रिपिया भरण नै दौ थाल में धर दिया। छोरी रा बाप नै जद इण बात री जानकारी व्हिई तौ बैटी वौ आपरा गिनायत कनै पूगौं अर पूछियौं कई बात हैं ? आप तौ रीत जितरा गैहणा नीं लाया ? छोरा रा बात कह्यौं बाजार सूं सोनो लावतौ तौ सुनार कमावतौ अर उणमें मिलवाट रौ ही डर रैवतौं। पछै सुनार तौ सुनार हैं उणमूं भी थौड़ौ घणौं राख लैवतौं। इणरै पछै भीगैहणा बनावट सारू मजूरी देनी पड़ती जकौ न्यारी। बींदणी जद गैहणा पहनैला तौ वै घिसला भी। इण सारू गैहणा नीं लायनै रोकड़ रिपिया लाया हूं, ताकि किणी तरै रौ खतरौ नीं। गिनायत री आ बात सुणनै छोरी रौ बाप चुप व्हैगियौ। पण जद सजनगोठ-बड़ी ज्योनार रौ समै व्हियौ अर बारात जीमण सारू आई तौ बेटी रौ बात सगळा री पतलां माथै मिठाइंया री ठौर चार-चार रिपिया धर दिया। अबै तमाशा करियौ ? म्हारी तौ नाक कटवा दीं, पत्तला माथै रिपिया क्यूं धरिया हौ। छोरी रौ बाप घणा लाड सूं कह्यौं, म्है इण सारू पतलां माथै रिपिया धरिया क्यूंकि पैला बाजार सूं घी, शक्कर, दाल आदि लावणी पड़ती, अगर यूं करतौ तौ पंसारी नै फायदौ व्हैतौ। पछै हलवाई कनां सूं मिठाईंया बणावतौ जणै उनरी मजूरी दैवणी पड़ती, इणमें भी मीठौं कम ज्यादा री चिंता। बात अठै हीं खत्म नीं व्हैती आपनै भी उणनै खावण सारू मेहनत करनी पड़ती। इणमें घणी मिठाीई खराब व्है जावती, इण सारू म्है पतलां म्हैं मिठाई री ठौर रिपिया धर दिया। इणमें किणी तरै रै नुकसान री संभावना नीं हैं । आ बात सुणता हीं बैटा रै बाप री बोलती बंद व्हैगी, वौ घणौ पिछतायौ। हाथौ-हाथ गांव रा बाजार में गियौ अर आपरी बींदणी रै सर सूं लेयर पग तक रा गैहणा गड़ायनै लेयर आयौ जण छौरी रौ बात जो आपरै गिनायन नै सबक सिखावण री ठाणी हैं उणनै चान दिनां तक राजी खुसी पांच पकवान जिमाया।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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