गरब गनीमा गालणी, दुज्जण दलणी रंग।
भारथ भवा भगीरथी, रंग क्रपाणी रंग।।
परचौं देवण में प्रचंड, अडतां पैलै आप।
सैणा मण सरसावणी, दुसमण दलणी दाप।।
चपळा सम चमकै चपळ, हण अरियण रण हुंत।
खट खग खल दल खौल दे, करामत कर कूंत।।
(हे खडग।
तू ही प्रत्यक्ष शक्ति है। तू ही शत्रुओं के गर्व का चूर्ण करने वाली है और तू ही उन्हें प्रतिहत करने वाली है। स्पर्श होते ही तू प्रत्यक्ष चमत्कार दिखाने में समर्थ है तथा मित्रों की सहायक और शत्रुओं की शत्रु है। दुश्मनों के दर्प का दमन करने वाली है। समर भूमि में शत्रु सैन्य के संधी स्थलों को खटकी ध्वनी से खोल देने वाली तथा उन पर बिजली की भांती चमक कर प्रहार करने में सशक्त शक्ति तू ही है)
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
-
*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
8 माह पहले
joordar h sa...dingal re maany ej fabe veer ras...lakhdaad..
thnx bhabha