Rao GumanSingh
Guman singh
संवत् १६९५ की वात ह, मुगल पातसाह ने सांचोर में परेमखां को आधी जागीर इंणायत करी । उण टेम आधी जागीर सोभा चहुवांण रे कनै ही। दोई मा गाय ने मारण रे कारण जुद हुयौ।
छायळ फूल विछाय, वीसम तो वरजांगदे।
गैमर गोरी राय, तिण आंमास अड़ाविया।।
इसड़ै सै अहिनांण, चहुवांणो चौथे चलण।
डखडखती दीवांण, सुजड़ी आयो सोभड़ो।।
काला काळ कलास, सरस पलासां सोभड़ो।
वीकम सीहां वास, मांहि मसीतां मांडजै।।
हीमाळाउत हीज, सुजड़ी साही सोभड़े।
ढ़ील पहां रिमहां घड़ी, खखळ-बखळ की खीज।।
सोभड़ा सूअर सीत, दूछर ध्यावै ज्यां दिसी।
भीत हुवा भड़ भड़भड़ै, रोद्रित कर गज रीत।।
चोळ वदन चहुवांण, मिलक अढ़ारे मारिया।
सुजड़ी आयो सोभड़ो, डखडखती दीवांण।।
वणवीरोत वखांण, हीमाळावत मन हुवा।
त्रिजड़ी काढ़ेवा तणी, चलण दियै चहुवांण।।
सोभड़ै कियो सुगाळ, मुंहगौ एकण ताळ में।
खेतल वाहण खडख़ड़ै, चुडख़ै चामरियाळ।।
लोद्रां चीलू आंध, भागी सोह कोई भणै।
सोभ्रमड़ा सरग सात मै, बाबा तोरण बांध।।
Rao GumanSingh
Guman singh
Banwari Sharma
ओजी ओ हदक मिजाजी ओ ढोलाh
मतना सिधाऔ पूरबियै परदेस
रैवो नै अमीणै देस |
पूरबियै मैं तपै रै तावड़ौ, लूवां लाय लगाय
घूंघट री छांयां कुण करसी, कुण थांनै चँवर डुळाय
ओजी मिरगानैणी रा ढोला, मतना सिधाओ
पूरबियै परदेस, रैवो नै अमीणै देस |
पूरबियै मैं डांफर बाजै, ठंड पड़ै असराळ
सेज बिछा कुण अंग लगासी, पिलँग पथरणौ ढाळ
ओजी पिया प्यारी रा ढोला, मतना सिधाऔ
पूरबियै परदेस, रैवो नै अमीणै देस |
पूरबियै मैं बसै नखराळी, कांमणगारी नार
कांमण करसी मन बिलमासी, झांझर रै झिंणकार
ओजी चन्नावरणी रा ढोला, मतना सिधाऔ
पूरबियै परदेस, रैवो नै अमीणै देस |
चैत महीनै रुप निखरतां, क्यूं छोडौ घरबार
च्यार टकां की थारी नोकरी, लाख टकां की नार
ओजी नणदलबाई रा ओ वीरा, मतना सिधाऔ
पूरबियै परदेस, रैवो नै अमीणै देस |
Rao GumanSingh
Guman singh
गोरे धोरां री धरती रो
पिचरंग पाणा री धरती रो , पीतल पातल री धरती रो, मीरा करमा री धरती रो
कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान ...
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
कोटा बूंदी भलो भरतपुर अलवर अर अजमेर
पुष्कर तीरथ बड़ो की जिणरी महिमा चारूं मेर
दे अजमेर शरीफ औलिया नित सत रो फरमान
रे कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान....
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
दसो दिसावां में गूंजे रे मीरा रो गुण गान
हल्दीघाटी अर प्रताप रे तप पर जग कुरबान
चेतक अर चित्तोड़ पे सारे जग ने है अभिमान
कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
उदियापुर में एकलिंगजी गणपति रंथमभोर
जैपुर में आमेर भवानी जोधाणे मंडोर
बीकाणे में करणी माता राठोडा री शान
कितरो कितरो रे करा म्हें बखान कण कण सूं गूंजे जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
आबू छत्तर तो सीमा रो रक्षक जैसलमेर
किर्ने गढ़ रा परपोटा है बांका घेर घूमेर
घर घर गूंजे मेड़ततणी मीरा रा मीठा गान
कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
राणी सती री शेखावाटी जंगळ मंगळ करणी
खाटू वाले श्याम धणी री महिमा जाए न वरणी
करणी बरणी रोज चलावे बायेड़ री संतान
कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
गोगा पाबू, तेजो दादू , झाम्बोजी री वाणी
रामदेव की परचारी लीला किण सूं अणजाणी
जैमल पन्ना भामाशा री आ धरती है खान
कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां