ये छन्द जुझारदान जी देथा, मिठङिया का कहा हुआ है सा....इस छन्द के आखिरी अन्तरे की तीसरी पंक्ति इस तरह है.....
'
हमरे हिंगळाज हजुर हिंगोलज, जे पद रज वंदे जुझियो।
(हे) अजोनी अंबा हिंगलाज आशापुर, आप चंडी मुझ स्हाय आयो।।
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
-
*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
7 माह पहले
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें