जरणी धर जाळोर री, जीतां अरि पग जाय।
लाजै मावड़ लोरियां, कुळ काळस लग जाय॥
भारत रचियां ही भड़ां, भारत रुप कहाय।
भारत सूं के दिर डरां, रहणी भारत मांय॥
प्रमलै सौरभ पौढियौ, आजादी री आंण।
जलम घूंट में जांणियौ, समर चढ़ंण चहुआंण॥
वरदायक वर वीरता, प्रथमी जस पूजाण।
सिर पडियां लड़ियौ समर, वीरमदेव चहुआंण॥
रंण बंका थैं राखियौ, मात भौम रो मांण।
अवसल वीरम आप री, पिरलै लग पहचांण॥
(रचियता-हड़मतसिंघ देवड़ा रानीवाड़ा खुर्द)
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
-
* प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति*
*-शम्भु चौधरी, कोलकाता-*
*"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" *का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ
अधिवक्ता और *अखिल भारतीय मारवा...
2 माह पहले
bahut hi badiya hukam aapka bahut bahut dhanyawad jo aapne hame etni jankari di