सहर तो कदीम छै। घणा दिनां रो बसे छै। पाधर मैदांन में वसै छै। सहर वीच कोट ईंटा रो थो सु तो कवचले वरसे पड़ गयो नै दरवाजौ एक कोट रो साबतो नै क्युंहेक भींत रावळा घरा वांसै, क्युंहेक दरवाजा रै मुंहडै थोड़ी सी भींत रही थी। पछै संमत १६८१ रै टांणै महाराजा श्री गजसिंघजी नूं साचोर जागीर हुती, तद तक वार काछी कटक मांणस ५००० साचोर ऊपर आया हुता, तद मु. जैमळ जैसावत नूं परगनो थो। पछै जैमळ रे चाकरै वेढ कीवी। कटक काछी भागौ। पछै मुं. जैमळ कोट फेर संवरायो। सहर रो मंडाण निपट सखरो छै। वडो बाजार गुजरात री तरै कैहलवांरो छायो छै। देहुरा २ जैन रा छै। एक मुं. जैमळ रो करायो छै। कोट मांहै कुवो १ छै, पिण पांणी नहीं। सहर पांणी री कमी। कुवा रूखी वाय १ चहुवांण तेजसरी कराई छै, तिणरो खारो पांणी। घणी सहर री मंड उण ऊपर छै। राव बलू नूं साचोर हुई तरै कुवो १ दिखण दिस नै राव बलू खिणायो छै। तिण मांहै पांणी मीठो पुरसे २० नीसरियो छै। उण ऊपर वाग छै। तळाव घणा को नहीं। नाडा दोय तीन छै। मास २ या ३ पांणी रहै। पांणी रो गांव रै खेडै दुख हीज छै। मुदै खारो कुवो सहर में तेजसरी वाय ऊपर छै तिण ऊपर तीण ६ वहै छै। राव बलू रो करायो कोहर दिखण दिस नूं कोस छै। पांणी मीठो छै। सांचोर सूं कोस १ गांव लाछडी उतर नूं छै, तिण गांव कूवो १ छै, तिण रो पांणी निपट मीठो पालर सारीखो छै। उठासूं वांहणां पांणी सहर आवै छै। साचोर रो निर-जळ देस छै। सहर री पागती जाळ, कैर घणा। परगनो एक साखियो रेत पटेल, रजपूत। गांव १२६ लागै। तिण मांहै गांव २८ नदी लूणी सूराचंद राड़धरा रै कांठै नीसरै, तरै इतरा गांवा साचोर रां मांहै वहै। तिण गांवे गोहूं, चिणा सैंवज हुवै। रेळ आयां। रेळ नावै तरै गांवां २८ कोसीटा २०० हुवै। बीजा गांव सारा इक साखिया। बाजरी, मोठ, मूंग, तिल, कपास हुवै। परगना मांहै भूमिया देवड़ा,वागडिया तिणारां गांव छै। नै चोहुवांण पूरेचा गांवां मांहै छै। सहर साचोर मांहै सकना तुरक घर १५० छै। सकना कहावै छै। खेत १०० सहर मांहै पसाइता खावै छै। खूंम ३ उणांरा छै १ बहलीम, १ झेरडियो, १ पायक, गांव दीठ रू.२ पावै छै। गांव १२६ माथै दांम २४८०००० छै। साचोर सहर री वस्ती उनमांन घर १२४५ छै। ७०० महाजन, ८० बांमण श्रीमाली, १० रजपूत, १५० सकना, १५ दरजी, १२ मोची, ४० तेली, ३५ सोनार, २५ पींजारा, १५ सुतरधार, १२ छीपा धोबी, ४ कूंभार, ५ रंगरेज, १५ भोजग, ५ माली, १० राव बारोट, २ लोहार, ५ गंध्रप, ३५ ढेढ़ भांबी, ४० भील रहै छै।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
हुकम सांचौर रौ लेख मुंहता नैणसी री ख्यात मांय बांच’र घणौ चोखो लागौ सा.
आप सूं विणती है कै, एड़ा दूजा लेख (दूजी ख्यात सूं कै नेणसी री ख्यात सूं) देवण री किरपा करौ सा. म्हारै केवण रौ मतलब कै हुकम इतीहास (राजस्थानी साहित्य री जुनी पोथीयां सूं) घणौ जाणवा मिळै सा.
आपनै घणा घणा रंग सा