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राज री मानता नैं झूरती राजस्थानी भासा!

Rao GumanSingh Guman singh


विश्व री बडी भासावां में गिणण जोग पण भारत में राज री मानता नैं झूरती राजस्थानी भासा!

राजस्थानी भासा संसार री सिरैजोग भासावां मांय सूं एक है, इण में रत्ती भर रो ही फरक कोनी। इण रौ इतिहास ढाई हजार बरस जूनौ है अर इण रौ सबद कोस सैसूं लूंठौ है, जिण में दो लाख दस हजार सबद है जिका संसार रै किणी सबदकोस में नीं है। इण में अलेखूं मुहावरा नैं कहावतां है अर एक एक सबद रा अनेकूं पर्यायवाची सबद है, जित्ता संसार री किणी भी भासा में मिलणा अबखा है। आर्य भासावां में राजस्थानी रो मुकाबलो करण री खिमता किणी भासा में कोनी। असमिया, बंगला, उड़िया, मराठी आद भासावा मांय सूं संस्कृत रा सबदां नैं टाळ दिया जावै तो इण भासावां री गत देखणजोग व्है।

मतलब इण भासावां रौ आप रौ न्यारौ इसौ कोई लूंठौ थंब-थळ कोनी कै वै आप रै पगां पर थिर रह सकै। आधुनिक काळ में इण भासावां में अथाग साहित्य रौ सिरजण तो व्हियौ है पण इण में इण भासावां री मौलिकता अर भासा री मठोठ निगै नीं आवै। इण भासावां रा सबदकोस भी इत्ता लूंठा नीं है कै ऐ आप रै खुद रै बूतै पर कोई सिरजण कर सकै। संस्कृत सबदां री बोळगत इण भासावां में है। भासावां री जणनी वैदिक भासा संस्कृत रै पुन परताप बिना तो कोई भी भासा खड़ी नीं हुय सकै। राजस्थानी भासा में भी संस्कृत रै तत्सम सबदां रौ प्रयोग व्है पण इण सूं राजस्थानी भासा री आप री निजू मठोठ कदैई कम नी व्है। राजस्थानी रै जूनै साहित्य सूं ले'र आज रै आधुनिक साहित्य रै सिरजण तकात राजस्थानी भासा आप री मूळ लीक पर चालती रैयी अर आप री मठोठ नीं छोडी।

आ वीरां, सूरां, संतां अर १३ करोड़ जणखै री जींवती जागती मिसरी सी मीठी भासा है। इण री कविता रै एक छंद सूं खागां खड़क उठै। जुध रै वर्णन री कविता आज रै टेलिविजन रै लाइव प्रसारण नैं भी लारै बैठावै। एक बांनगी निजर है- तोपें तें तें धुधआळी धधक उठी धुंआआळी गोळी पर बरसे गोळी पण लोही सूं खेले होळी। कांठळ आयां ज्यूं काळी आभै छायी अंधियारी। बोल्यो गरणाटो गोळी रूकगी सूरज री उगियाळी। इण रै रसपाण सूं वीर बळती लाय में कूद पड़ै। इण री एक हाकल सूं बैरी आप री पूठ पाछी फोरले। रूप अर सिणगार रै गैणां सूं लड़ालूम आ एकदम आजाद न्यारी-निरवाळी आर्य भासा है।

आ नीं तो आथूणी (पश्चिमी) हिन्दी अर अगूणी (पूर्वी) हिन्दी री बोली है अर नीं ही इण री उप भासा है। भारतीय संविधान लागू हुवण सूं पैली यूनिवर्सिटी प्रेस बोम्बे-कलकता-मद्रास कानीं सूं एन हिस्टोरीकल एटलस ऑफ दी इण्डियन पेनिनसुला रो पेलड़ौ संस्करण जिकौ १९४९ में छपियो उण में विगतवार ४०-४१ पांनावळी ८२ सूं ८५ तांई में पांनावळी ८२-८३ में समूची विगत रै सागै भारत री आर्य भासावां रा छपिया भासावार इतिहासू नक्ष इण री साख आपूं आप भरै कै राजस्थानी अेक न्यारी-निरवाळी एकदम आजाद आर्य भासा है, जिण रौ खेतर बौत बडौ नैं इण री डाळ्यां समूचै राजस्थान में पांगरयोड़ी है। इण साच नैं संसार री कोई ताकत कूड़ नीं घाल सकै।

इणी नक्शे में हिन्दी फगत ईस्टर्न हिन्दी अर वेस्टर्न हिन्दी रै रूप में दिखाईजी है जिण रौ खेतर आज रै भारत रा उत्तर प्रदेश अर मध्य प्रदेश रा कैई इलाका है। इण रै अलावा इण दोवूं प्रांतां में भी आप-आप री क्षेत्रीय भासावां रा पसराव है। आदिकाळ सूं इण इलाकां री आपरी न्यारी लूंठी भासावां ही जिकी आज मरणागत है। याद करो तुलसीदास जी री ''रामचरित मानस'' नैं जिकी अवधी भासा में रचीजी ही, जिकी हरैक हिन्दू रै कंठां बस्यौड़ी है पण कित्तै दुरभाग री बात है कै आज उण काळजयी भासा रौ नांमून तकात मिटा दियौ। डरता गोगो धोके री तरज पर फगत रामायण पाठ रै अलावा आज इण रौ कोई नांव ई नीं लेवै। इण रै सागै ई वैदिक भासा संस्कृत जिकी सगळी भासावां री जणनी है, जिण में धर्म, ज्ञान-विज्ञान, वेद-उपनिसद अर समूची सृसिट ई समाइज्यौड़ी है उण भासा री आज कांईं दुरगत व्है रैयी है- आ किणी सूं छानी नीं है। मगध रा राजा जनक जी री मिथिलांचल प्रदेश री भासा मैथिली री गत भी इसी गमाईजी है। इणी भांत उत्तरादे भारत रा राज्यावां री घणकरी भासावां काळ रौ कव्वो बणगी। आखर कुण गिटग्यो इण भासावां नैं अर डिकार ई नीं ली? जवाब सांपड़ते है कै जिका राजस्थानी नैं गटकण री चेस्टा करी वां ही ताकतां इण भासावां नैं गटक'र डिकार ही नीं ली। आजादी सूं पैली राजस्थानी सैती इण सगळी भासावां री आप री न्यारी पिछाण ही अर बोल-बतलावण रै सागै आपू-आप री रियासतां में राज-काज री भासा पण ही। लोकतंत्र री आड में राज करण री हूंस रै पाण इण भासावां नैं आप री बळी देवणी पड़गी। उतरादे भारत खासकर जिण नैं हिन्दी बेल्ट कह्यौ जावै री जनता नैं भारत रा राजनेतावां रास्ट्रवाद अर देसभगती रै नांव पर भोदू बणा'र वांरी भासावां री बळी लेय ली अर राज री गिदी माथै बैठग्या अर लारलै साठ बरसां सूं सत्ता रौ सुख भोग रह्या है। कारण कै इण पांच प्रांतां में जठै हिन्दी थरप्यौड़ी है, ऐ पांच प्रांत है उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान अर हरियाणा। लोक सभा री ५४२ सीटां मांय सूं लगैटगै आधी सीटां इणी हिन्दी बेल्ट सूं आवै, बाकी सीटां समूचै भारत सूं आवै। इण समूचै भारत मांय सरकार २२ भासावां नैं संविधान री आठवीं अनूसुचि में भेळ राखी है जिकी आपू आप में रास्ट्रभासा है जिण मांय सूं घणकरी भासावां तो भारत रा केई प्रांतां री भासा है अर केई भासावां जियां संस्कृत, उर्दू, सिंधी, नेपाळी आद भासावां है जिकां रौ कोई थळ-थंब नीं है पण वै भारत रै संविधान री आठवीं सूचि में सामल है।

भारत सरकार आ दुहाई देवै कै काश्मीर सूं ले'र कन्या कुमारी अर गुजरात सूं ले'र आसाम तांई भारत एक है! ओ एक क्यूं है? इण रौ कारण भी साफ है कै बठै आप आप री भासावां है भारत सरकार रो कोई दखळ कोनी। इण भासावां रै पांण ही ओ भारत एक है, भारत भर में व्हिया भासायी आंदोलण इण री साख भरै। नेहरूजी हिन्दी नैं पनपावण खातर अर इण नैं रास्ट्रभासा बणावण सारू घणा ही ताफड़ा तोड़या पण वांरी आस फळी कोनी अर वांनै ओ ऐलाण करणो पड्यो कै जद तांई ऐ प्रांत नीं चावैला बठै हिन्दी नीं थरपीजैला। आजादी सूं पैली भारत एक हो, एक सुर हो, पण आजादी मिल तांई सगळी ऐकता-अखंडता लीरा-लीरा हुयगी। सता री मळाई खातर सगळा लड़-भिड़ पड़या। वांरी रास्ट्रीयता भारतीय नीं हुय'र असमिया, बंगाली, उड़िया, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तमिल, कन्नडिगा, मलयाली, तेलंगाना, हुयगी। बंगला अर असमिया भासा में एक सबद रो प्रयोग व्है ''जातीय'' जिण रौ अरथ रास्ट्रीय सूं है जिण रौ सीधो अरथ लगायो जा सकै कै वांरी रास्ट्रीयता भारतीय नीं बल्कै असमिया अर बांग्ला है! महारास्ट्र में मी मुंबईकर, आमी अखोमिया, आमी बांग्ला आद कांई साबत करै? मतलब सगळां री आपू-आप री भासावां रास्ट्रीय भासा है अर आपू आप री रास्ट्रीयता है तद म्हांरी क्यूं नीं? म्हांरी भासा-संस्कृति नैं भारत सरकार अर प्रदेस में वांरा हजूरिया-खजूरिया रिगदोळण अर गटकण री समूची चेस्टा करली।

पण राजस्थानी भासा वा लूंठी अर रगत सूं सींचिज्यौड़ी भासा है कै इण नैं कोई काळ रौ कव्वौ नीं बणा सकै। राजस्थानी भासा री मानता री मांग लारलै साठ बरसां सूं लगौलग चाल रैयी है, राजस्थानी में लगौतार साहित्य रौ सृजन व्है रह्यौ है। इण नैं लेय'र धरणा, प्रदर्शन, मुखपत्ती सत्यागृह व्है रह्या है। एक पीढी खतम व्है तो दूजी पीढी मोरचो लेवण नैं त्यार व्है जावै। कहणै रौ मतलब औ कै राजस्थानी री मानता री मांग अठै कदैई मगसी नीं पड़ी। अठै रा लोगां में देश प्रेम अर रास्ट्रवाद री भावना कूट-कूट'र भरयौड़ी है कै वां आपरी इण मानता री चिणखारी नैं हरमैस सिलकायां राखी पण देश हित में कदैई वां आप री सींवा नीं तोड़ी।

भारत रै संविधान री सींवा रै मांय रैय नैं आप रौ अहिंसात्मक आंदोलण चलायौ। स्यात विश्व रौ सैसूं बडौ-लूंठौ नैं लंबो भासायी आंदोलण है जिकौ आज भी आप रै नैम-धरम सूं चाल रह्यौ है। दूजै खांनी इणी भारत देश में जिका भासायी आंदोलण व्हिया वांरै रगत रा छींटा आज भी निगै आवै। राजस्थानी लोग भी चांवता तो हिंसा रै मारग चाल सकता हा पण राजस्थानी लोगां देश हित रै आगै कदैई आपै सूं बारै नीं आया अर मांय ही मांय मोसीजता रैया। इसी आस लियां राजस्थानी रा घणकरा हेताळू जिका चांवता कै वांरै जींवता जी राजस्थानी नैं नीं मानता मिळ जावै, सुरग सिधारग्या अर वांरी मन री मन मांही रैगी। फैर भी नूंवी पीढी इणी ढाळै आप रै आंदोलण नै चलांवती थकी इण चिणखारी नैं सिलगायां राखी है, इण खातर वांनै घणा-घणा रंग, लखदाद।

इण भासायी आंदोलण में राजनेतावां री भूमिका सरूपोत सूं ही नाजोगी रैयी है। आपरी पार्टी रै बडै नेतावां री स्यान में पूंछ हिलावण वाळा राजस्थान रा राजनेतावां कदैई इण लूंठी भासा री भावना री कदर नीं करी। फगत बीकानेर रा सांसद महाराजा करणीसिंहजी लोकसभा में पैलीपौत १९६८ में राजस्थानी भासा री संवैधानिक मानता सारू निजू विधेयक लाया हा पण बहुमत रै जबकै रै आगे वांरौ निजू विधेयक पारित नीं हुय सक्यौ। फेर भी वां हारा नीं मानी अर राजस्थानी री मानता री बात सूं संसद नैं गुंजायां राखी। पण दुरभाग री बात कै वै किणी पार्टी सूं जुड़योड़ा नीं हा इण कारण वांरी आ आस फळी कोनी अर वै भी आ ईज आस ले परा'र सुरग सिधारग्या। वांरै गयां पछै तो लोकसभा में ऐन सून वापरगी अर राजस्थानी री मानता री मांग इण मिजळा नेतावां री भेंट चढगी। लाख-लाख धिक्कार है! इण मिजळा नेतावां नैं जिका राजस्थानी लोगां रै वोटां रै पुन परताप सूं लोकसभा अर विधान सभा में पूगै। अठै पूग्यां पछै तो वांरी जीभ रै डाम सो लाग ज्यावै, वै भासा रा भावां नैं भूल ज्यावै अर आप रा नव रा तेरह करण में लाग जावै। इतिहास इण नेतावां नैं कदैई माफ नीं करैला।

राजस्थानी लोगां रास्ट्र री ऐकता अर अखंडता रै नांव पर हिन्दी नैं पनपावण खातर भारत रा भाग्यविधातावां रै कैवण मतै हिन्दी नैं अंगेजली अर हिन्दी नैं पनपावण में किणी भांत री कौर-कसर नीं राखी। ध्यान जोग है कै हिन्दी रौ आदिकाळ अर मध्यकाळ राजस्थानी रै थंबा पर टिक्योड़ौ है, जिण नैं कोई नकार नीं सकै। हिन्दी नैं रास्ट्रभासा रै रूप में थापित करण में इण राजस्थान प्रांत अर देश रै खुणै-खुणै में बसणिया राजस्थानी लोगां रै योगदान नैं बिसरायो नीं जा सकै। उण सगळा राजस्थानियां री ही आ मायड़ भासा राजस्थानी है।

राजस्थानी रा चावा-ठावा कवि कानदान जी रौ एक कथण है कै राजस्थान रा आदमी तो इण आकाश रा थंबा है, अर ऐ थंबा पड़ ज्यावै तो लोग मर ज्यावै किचरीज'र। आ बात सोळै आना साची है। हिन्दी पत्रकारिता रै इतिहास सूं लगा'र आज तकात देखलो - हिन्दी अखबार जगत रा मालिक कुण है? गीता प्रेस गोरखपुर रौ हिन्दी नैं पनपावण में कित्तो बडो हाथ रह्यौ है इण रौ जित्तो भी बखाण कियौ जावै कम हुसी। वांरी री भी जड़ां राजस्थान सूं है अर वै भी मूळ राजस्थानी है। इत्तो ही नीं हिन्दुत्व नैं आप री बापौती समझण वाळी भाजपा अर रास्ट्रीय स्वंयसेवक संघ रौ रास्ट्रीय सरूप बणायै राखण रौ समूचौ भार ही प्रवासी राजस्थानियां आप रै कांधा पर उठा राख्यौ है। उतर पूर्व सूं लेय'र ठेट दिखणादे भारत में रास्ट्रीय स्वंयसेवक संघ अर भाजपा रा जमीं सूं जुड़योड़ा कार्यकर्ता वै राजस्थानी इज है जिका इणा रै झण्डां रौ भार आप रै कांधा पर ढो रह्या है।

केहणौ रो मतलब औ है कै भारत देश रै हर भांत रै बिगसाव में राजस्थानी लोगां आप रौ सौ क्यूं वार दियो। आजादी रै आंदोलण में क्रातिकारियां नैं रातवासा इण राजस्थानी लोगां ही इज दिया अर वांरी तन-मन-धन सूं सेवा करी। क्यूं भूलै वै भारतवासी? हिंदवाणै री लाज राखणिया बीकानेर रा राजा कर्णसिंह जिकां औरंगजेब री सगळै हिन्दू राजावां नैं मुसळमान बणावण री योजना नैं सिग चढण सूं पैली अटक नदी पर राख्यौड़ी नावां में सूं पैली नाव तोड़'र हिन्दुत्व री लाज राखी अर जय जंगळधर बादशाह री पदवी पाई। महाराणा प्रताप अर मुगल पादसाह अकबर री इतिहासू लड़ाई जिण में कई कीरत थापित हुया अर आज भारत री राजनीति रा पंडित भी हिन्दु मुस्लिम भाईचारै रै इण प्रसंग सूं वोटां री फसल काटण में पाछ नीं राखै।

बनारस हिन्दु विश्वविधालय री थापना में बीकानेर रा महाराजा गंगासिंहजी रौ कित्तो बडौ उदगर है? जिण नैं जाणणौ चावौ तो पंडित मदन मोहन मालवीय रा संस्मरण पढो तो बेरो पड़ ज्यासी कै ओ उदगर किंया है? अठै उदगर सबद रो बरताव जाण-बूझ'र कर्यो है- जिण सूं हिन्दुत्व रा झंडा लियोड़ा वां लोगां अर भारत सरकार रा ऐलकारां नैं पतो पड़ै कै म्है किण दिस चाल रह्या हां। इत्तो हुंवता थका भी अठै रा जाया-जलम्या लोगां री मायड़ भासा राजस्थानी आजादी रै साठ बरसां पछै भी मानता खातर क्यूं झूर रैयी है? संसार रै सैसूं लूंठै देश अमरीका री सरकार राजस्थानी भासा नैं मानता देय दी तद २००३ में राजस्थान विधानसभा सूं राजस्थानी भासा नैं संविधान री आठवीं अनुसूचि में भेळण रौ सरब सम्मति सूं पारित प्रस्ताव केन्द्र सरकार क्यूं दबा राख्यौ है? संसार री सिरै भासावां में तेरवीं ठौड़ राखण वाळी भासा राजस्थानी भारत रै संविधान री आठवीं अनुसूचि में सामल २२ भासावां में गिणणजोग क्यूं नीं?

आज तकात भारत सरकार २२ भासावां नैं संवैधानिक मानता दे राखी है - राजस्थानी सागै आ दुभांत क्यूं? कठै है राजस्थानी लोगां रो समानता रौ अधिकार? राजस्थान री जनता रौ चुण्योड़ौ विधायक इण २२ भासावां में तो सपथ ले सके-बोल सके, पण आप री मायड़ भासा राजस्थानी में नीं- औ कठै रौ न्याव है? कांई ओ ही लोकतंत्र है? कांई राजस्थान भारत रै गणराज्य रौ गमलो कोनी? नेपाळी भासा जिकी एक पराये मुलक री भासा है- नेपाळी भासी लोग भारत रै सिक्किम, बंगाल अर आसाम रै चाय बगानां में रैवास कर'र मजदूरी करै। इण वास्तै सिक्किम, आसाम अर बंगाल री सरकार फगत एक हिमायत री पांनड़ी केन्द्र सरकार नैं भेजी अर केन्द्र सरकार हाथूंहाथ नेपाळी भासा नैं आठवीं अनुसूचि में भेळली।

अठिनैं देश रै सैसूं बडै प्रांत राजस्थान री विधान सभा सूं पारित संकळप री कोई गिनर ही नी। कांई आ राजस्थान विधान सभा री अवमानना कोनी? केन्द्र सरकार री आ दुभांत लोकतंत्र पर आंगळी उठणी नीं है? आखर केन्द्र सरकार री मनस्या कांई है? जद राजस्थान रै एक जिलै जितै राज्य री भासा नैं संविधान री आठवीं अनुसूचि में भेळ सकै तद राजस्थानी भासा नैं आठवीं अनूसुचि में भेळण सारू ओसका क्यूं ताक रैयी है?

राजस्थानी लोग संत सुभाव रा अर देश भगत है अर आप रौ ओ आंदोलण साठ बरसां सूं गांधीगिरी रै सागै चला रैया है। इत्तौ लंबो आंदोलण तो आजादी खातर गांधी बाबे भी नीं चलायो हो पण केन्द्र सरकार कपटी नींवत रै सागै आप री आंख्यां मींच राखी है। लारलै साठ बरसां सूं भारत री केन्द्र सरकार राजस्थान री प्रदेस सरकार राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति नैं रिगदोळण में लागौड़ी है। प्रदेस सरकार राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति अकादमी बणाणै रै सागै राजस्थान नैं नाथी रौ बाड़ो समझ'र पांच दूजी भासावां री अकादमियां औरूं खोल दी। अठै भी जिकै दळ री सरकार व्है उण रा पटठा अकादमी री जाजम पर बैठ'र मळाई खांवता रेवै अर पुरस्कारां री बांदरबांट में अळूझ्योड़ा रेवै। भासा रो इण सूं कोई भलो नीं व्है। इण नेतावां रो नाजोगापण देखौ कै अठै राजस्थानी भासा री अकादमी तो समझ में आवै पण दूजी भासावां री अकादमी री अठै जरूत नी ही फैर भी अठै दूजी भासायी अकादमियां थरपदी अर राजस्थानी भासा री अकादमी नैं पूरी बापड़ी बणा दी। अठै नीं तो अध्यक्ष है अर नीं ही सचिव, बिना कार्य समिति अर सामान्य सभा रै अकादमी चाल रैयी है।

राजस्थान में पढाई-लिखाई रौ स्तर सफां गमाईज्योड़ौ है अर पाठ्यक्रम रौ तो समूचौ घाण ही कचोईज्योड़ौ है। पाठ्यक्रम में पढेसरी रै सारू जिकी जरूत है वो तो नीं है बिना सींग-पूंछ रौ मसालो अर इतिहास भर्यो पड़यौ है जिकौ उण नैं माडाणी पढणो पड़ै। जद उण नैं खुद री भासा, साहित्य अर संस्कृति री ही समझ नीं है जद वो आथूण री सभ्यता अर संस्कृति, यूरोप अर मध्य-पूर्व रौ इतिहास पढ'र किसौ तीर मार सकैला? राजस्थान में शिक्षा रौ स्तर कित्तो गयो-बीतो है एक नमूनो निजर है - एक पढेसरी जिकौ एम ए एम फिल है अर बी. ऐड. कर रह्यौ है उण सूं एक दिन बात व्ही तो ठा पड़यौ कै उण नैं हाल ओ भी ज्ञान नीं है कै नानी बाई अर नरसी मेहता कुण हा? नानी बाई रौ मायरौ कित्तो जगचावौ है इण रौ भी उण नैं ज्ञान नीं है तद सोचो अर समझो कै राजस्थान रौ शिक्षा स्तर कित्तौ निमळौ है। इण पढेसरयां सूं तो बत्तौ ज्ञान गांव रा वां अणपढ लोगां कनै है जिका इण भासा संस्कृति नैं जीवै-पोखै।

तीन-तीन पीढ्यां बीतगी मानता मानता करतां अर बिना आप री भासा में भणया। भासा रै इण बिछेड़ै रा जुम्मेवार कुण? ओ तो हळाहळी किणी दूध चूंगतै टाबर सूं मां रा हांचळ खोस परोर परयां कर दियौ जावै, सैंग ओ ही हाल भारत री सरकार राजस्थानी लोगां रा आपरी भासा में पढण रा अधिकार खोस'र कर्यौ है। कांई भारत री सरकार आ चावै कै राजस्थान रा जोध-जवान सड़कां पर आय'र प्रदेश री शांति नैं भंग करै-तोड़ा-फोड़ा, आग-बळीता करै तद वा आप री आंख्या नैं खोले?

आज री भारत री राजनीति रा नूंवा युवराज राहुल गांधी सूं राजस्थानियां री खास दरखास्त है कै जदि वै अपणै आप नैं भारत री राजगिदी रै उंचै आसण पर बैठयौ देखणौ चावै तो राजस्थानी लोगां री मांग नैं सीकार करणी पड़सी नींतर, इण रा सुपना ही लेवौला! राजस्थानी अबकी बेळां सोनै री तश्तरी में राख'र आप री आजादी अडाणै मेलण वाळा नीं है, जिण भांत राजस्थान रा बडेरा राजनेतावां नेहरूजी रै कैवणमतै आप री आजादी अडाणै मेलदी ही। इण खातर युवराज राहुल गांधी हुंसियार-खबरदार! ओ कांटां रौ सेवरौ बांधण सूं पैली सोच लिया कै कठैई राजस्थानी भी नाहर नीं बण जावै। खूंटी टंग्यौड़ी खागां खड़क नीं उठै! राजस्थानी जवानां में धधक रैयी चिणखारी राजनीति रा महलां नैं बाळ नीं न्हाखै। राजस्थान में उठता आंधी रा भतूळ आप री राजनीति री चूळां नैं हिला'र राख दे अर आप रै राजा बणण रा सुपनां नैं किरची-किरची कर दे!!

आखर अन्याव अर दुभांत री सींव हूया करै। इतिहास इण बात रौ साखी है कै जद जद भी ससक आम जन री भासा, संस्कृति नैं कचोवण अर दबावण री चेस्टा करी वै कदै लंबो राज नीं कर सक्या। ब्रिटिष् साम्राज्य रौ सूरज कदै आथमतो नीं हो उण नैं भी इण कारण जावणौ पड़ियौ कै वां अठै री भासा संस्कृति रै सागै रळ-मिळ'र चालण री ठौड़ आप री अंग्रेजियत थरपणी चावी अर वांनै आप रा बींटा गोळ करणा पड़िया। मूगल, लोधी, चन्द्रगुप्त, अशोक, शक अर हूण सगळां री ही आ इज गत व्ही। अठीनैं राठौड़ राजवंश जठै भी गयौ बठै री भासा, संस्कृति नैं अंगेजली अर आप रै राज री सींवा रौ बिगसाव कर्यौ। राजस्थान में राठौड़ बदायूं सूं आया अर अठै री भासा, संस्कृति रै सागै रळ-मिल'र चाल्या अर अठै रा ही इज बण'र रैयग्या अर वांरै जस रा गीतड़ा आज भी गाईजै। राठौड़ां रौ समूचौ इतिहास इण बात री साख भरै कै जदि वै आपसरी में नीं लड़-भिड़ता तो स्यात आज इण मिजळा नेतावां नैं राज करण रौ मोकौ नीं मिळतो। इसी आप है कै औ पाप रौ घड़ो एक दिन अवस फूटैला अर राजस्थानी लोगां नैं आप री मायड़ भासा में भणण रा अधिकार मिलैला। जय राजस्थान, जय राजस्थानी।

- विनोद सारस्वत,
ई ठिकाणौ :- rajastahnihelo@gmail.com

12 comments:

  1. ताऊ रामपुरिया ने कहा…

    घणी बढिया जानकारी मिली जी आपके ब्लाग पर. आज पहली बार ही पता चला. घणा सुंदर प्रयास है आपका.

    रामराम.

  2. manish jangir rajasthani ने कहा…

    khama ghani saa, aapro lekh padhyo. insu meh boht prabhavit hyuo. inne padh*r maahre man me bhi aa jachgi ke mayad bhasha rajasthani ri maanyataa khatar ki karno chahije. manish jangir {rajasthani} bikaner 9413207002

  3. narayan rahad ने कहा…

    khama ghani sa me aapri profile dekhi or lekh padiya mene ghani khushi hue aap log rajasthani bhasa ro man ini bhat bedhaijyo sa

  4. radhe ने कहा…

    bahut jordar likiyo sa aapni mayad bhasa vaste aap jako oo kadam uthayo ho bahut sarahniya hain sa aage bhi ine or badhawata raijosa aap ni mayad bhasa ne ek din atthvisuchi main raj ne levni is padela aa mariteh dil su hardik icha hain jako jarur puri vaila sa ghani khama sa aap ro ramrajpurohit jodhpur (piparcity)

  5. Unknown ने कहा…

    IS WEBSITE KO ITNA FORWARD KARO KI RAJASTHANI BHASA KO MANYATA MIL KAR RAHE. MANYTA MILNE SE HAMARE RAJYA KE LOGO KO PAHLE ROZGAR MILEGA OR BEROZGARI RAJYA SE KHATAM HOGI.

  6. Unknown ने कहा…

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  7. Unknown ने कहा…

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  8. Unknown ने कहा…

    IS WEBSITE KO ITNA FORWARD KARO KI RAJASTHANI BHASA KO MANYATA MIL KAR RAHE. MANYTA MILNE SE HAMARE RAJYA KE LOGO KO PAHLE ROZGAR MILEGA OR BEROZGARI RAJYA SE KHATAM HOGI.

  9. hari kishan ojha ने कहा…

    apri jankari gani chokhi lagi
    sa in tharayashu pure rajasthan ra log aa tha leve ki rajasthani bhasa ne manyta milni chayea to me keu
    ke in bhasa ne manyata melan su koi mai ko lal ne rok shake.

    jai rajasthan jai rajasthani

  10. harikishan ojha ने कहा…

    rajasthani bhasa apni maa re
    saman hai in bhasa ne manyata milni chage in re khatir aapana ne jan andolan karno padsi

    jai rajasthan

  11. hari kishan ojha ने कहा…

    ram ram sa apni bhasa may koi bhi bat likhyodi dekhta hi mahri chati ful jave in vaste aapa ne aapni mayd bhassa ne manyata dilwani padshi our in khatir gano pryash karno padsi

  12. HARI KISHAN MARWADI ने कहा…

    MARI JANKARI MAY RAJASTHANI
    BHASSA GHANI CHOKHI BHASSA
    HAI IN NE MANYATA MILNI
    CHAYEYE HAR RAJYA RE NAYRI NAYARI BHASA HAI PAN AAPARE RAYA MAY APNI BHASA NE MANYATA KONI
    JAT TAYE SHISH RAM OLA JISA AADMI RAJASTHAN MAYA REVELA EN BHASA RO APMAN UVATO RAHSI
    IN KHATIR IN BHASSA NE MANYATA MILNI CHAHIJE, RAM RAM