जांबूवाला बैरा माथै पनड़री री खांडिंद-खंडिंद रौ ठेको, घड़लिया रौ खळकतौ पांणी, बांकली में रळकतो, नाळौ, होड़ा देवतौ ढलकतौ धारौ, पीयोड़ा क्यारां सूं आवता ठाड़ा लैरका अर आंबली माथै बैठी कायलां रा मीठा टकूड़ा। इण थाट बिचाळै गादेल माथै बैठौ सागड़ी मौज सू रागां करै तौ इण मेंकिणरौ दोस। गादेल माथै बैठो सागड़ीह मीठी अर तीखी राग मेंतैजौ गावतौं के उणरी धरवाळी भातौ लयनै आई। आपरा धणी नै इण गत मौज में गीत गावतां देख्यों तौ उणनै रीस आई। उणरौ माजनौ पाड़ती वा कह्यौ-हे ओ, थानै थोड़ी-घणी लाज को आवै नी ? थारां सुसरौजी नै चलियां पूरौ पखवाड़ौ ई नीं बीत्यौं अब थें ढोली री बळाई रांगां करौ ? गनौ हौ तौ म्हारै हौ, थांनै वांरौ कांई सोच? सागड़ी लतेड़ सुणनै लचकांणौ तौअवस पड़ग्यौं पण वौ जाणतौ के आ गादेल री ठौड़ इज अैड़ी हैं, इण माथै बैठैला जिणनै तो गावणौ ई पड़ैला। गादेल सूं उतरनै बौल्यौ, म्हैं रोटी खांवू जितै थूऔ डोरी उतार देै। रोटी खायनै घड़ी आधघड़ी मोर पाधरा करणी चावूं। बैठा-बैठा री कड़िया कुळण लागी। सागड़ी रोटी खावण नै बैठो अर उणरी घरवाली गादेल माथै बैठी बळद खड़ण ढूकी। बळद सात-आठेक भळाका लाया जितै तौ वा मूंडौ साजयोड़ी बोली-बोली बैठी रीवी। पछै हौळे-हौळे होठां रै मांय गुणमुण-गुणमुण करण लागी। सागड़ी ई लखग्यौं के आ गादेल तौ आपरौ परताप दरसायां रैसी। चळू करनै वौ कह्यौ-धमैक आड़ौ व्है जावूं, थू वैरो खड़ती रेजै। आंबली री जाड़ीह छीयां में वौ माथै खेसळों तांणनै सूयग्यौ। वौ सूवण रौ फगत मिस बणायौ हौ। उणरां कांन तौ घरवाळी री राग सुणण में लाग्योड़ा हा। थोडी ताभ् पछै, ई गादेल माथै बैठी उणरी घरवाळी तै मीठी अर तीखी ढाळ खेसला रै मांय उणरा धणी सूं सबूरी राखणी दौरी व्हैगी तौ वौ झट ऊभौ होसनै कह्यों - लिछमी,थनैरांगा करता सरमा को बावै नीं ? म्हारै तो ससुरोै व्हैतौ हों, पण थारौ तो बापहौ। थनै तौ थोड़ी - जांणतौ हौ के बाप मरौ, भलांई मां मरौ इण गादैल माथे जकौ बैठसी उणनै तौ गांणऔं सूझैला इज। अबै थनै कीं सोजी बंधी ? उणरी घरवाळी लचकांणी पड़नै माथै नीचै कर लियौ। कांई पडूत्तर देवती।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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