रावळा कोट में लांठौड़ी चौकी ऊपर मकरांणा रा फूटरा गलीचा री बिछायत करियोड़ी ही। चौकी माथै पाखती एक चौधरी बैठो हो। ठाकरसा बिना बात ई राम जाणै क्यूं राजी हां ? वै मूंछ्यां माथै हाथ फ ैरता चौधरी नै मिसखरी रा भाव सूं पूछ्यौ-हे रे चौधरी, म्हेैं मोरसाण माथै बैठ्यों तौ थूं नीचै चौकी माथै बैठग्यो, पण जे म्हेै चौकी माथे बैठूं तो थूं कठे बैठेला ? चौधरीं हाथ जोड़ता कह्यौ-हुकुम, रावलै चौकी माथै बिराजौ तो म्हैं नीचै धूड़ रै आंगणै बैठ जावूंला। म्हनै तो आप सूं नीचै बैठणौ हीं ज पड़ैला। ठाकरसा फेर आगै कैवण लागा-है रे चौधरीं, थू नीचै बैठण री बात करी तौ पछै म्हनै इणरों सावल म्यांनो दै, जे म्हैं नीचे धूड़ आंगणै बैठूं तौ थूं कठै बैठेैला ? चौधरीं कहï्यौ रावले रोज आंगणै गिराजी। आंगणै बैठण रा करम तौ म्हांरा इज हैं। आपरै तौ लारला भौ री करणी चोखी करियोड़ी है, इण सूं आपरै हेटै तो सदा आसण ई रैवैला। ठाकरसा कहï्यौ-नीं नीं बावळा कदै ई अैड़ौ मौकौ बण जावै। थूं अबै गुचळकिया मत खा। म्हनैं सुभट बता के म्हैं जमीं माथैं बैठूं तो थूं कठै बैठैला ? चौधरीं मुभ्कतौ बोल्यो-हुकुम, जे रावळै जमीं माथै बिराजौ तो म्हैं थोड़ौ खाड़ो खेदनै नीचे बैठ जावूंला। ठाकरसा भळै पूछ़्यौ-चौधरी जे म्हैं खाड़ा में बैठू तौ थूं कठै बैठैला ? चौधरीं सोच में पडग्यौ। थोड़ी ताळ विचारनै पडूंतर दियौ-जै म्हैं उण ऊंड़ोड़ा खाड़ा में बैठग्यों तौ थूं कठै बैठैला ? चौधरी बौल्यौ-म्हैं भळै पांचके हाथ ऊंडौ धैड़ खादनै नीचे बैठ जावूंला ? रावलौ तो सदा ऊंचा ई बिराजौला? पण ठाकरसा नै फेर ई धीरज नीं व्हियों। बौल्या-हां रे चौधरीं, जै म्हैं ऊंडोड़ा धैउ़ में बैठग्यो तौ थूं पछै कांई करैला ? चौधरीं इण दपूचा आगै कायो व्हैग्या। उणनै जूंंझल छूटी। बैड़ाई सूं जवाब दियौ-म्हैं तो घड़ी-घड़ी आज इज कैवूं के रावलै ऊचां ई बिराज्या रैवो, पण आपरी मरजी ऊंडोड़ा धैड़ में बैठण री हैं, तो खुसी सूं उठै बिराजौ। म्हैं धूड़ न्हाकियां पूठैं लांठी सिलाड़ी सिरकाय देवूंला। इण तरै चौधरीं चतराई सूं ठाकर सा ने चुप कर दिया।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
o kaniyaa ro ghanno hi choko kaaj
shuru karya the.
Een saaru mhari badhai.