एक चोर रा सगला घरवाळा मर खूटग्या तौ उणनै वैराग ऊठग्यों। वौ एक साधू-मातरा रै पगां पड़ने कहयौ-संता, म्हारौ औ जलम तौ बिगड़ियौ जकौ बिगड़ियौ ई, अबै आगौतर नीं बिगड़ेै, इण खातर आपरै सरणै आयौ हूं। सारी ऊमर, चोरियां में काढ़ी, अबै ढळती उमर रांम रौ नांव लेवण चावूं। पण बिन गुरू बिना वौ ई लिरीजै कठै। म्हारा जैड़ा पापी माथै दया बिचारौ अर म्हनै तारौ। साधू मातमा उणनै चेलौ बन लियौ। मातमा रौ अड़खंजौ लाठौ हौ। रामुदंवार में कोई संन्यासी रैवता हा। घणी ई वित-मवेसी अर घणौ ई घीणौ-धापौ हो। रांमदुवार में केई चारियां, लोटा गिलास, कूंडा, केइ राच-पीच, केई ठांव-ठीकरा अर केई बरतन-बासणा हां। रामजी री किरपा सूं गिरस्ती रा सगळा थाट इण रामदुंवारा में हा। चोर रै तौ मोज बणी पण बणी। सैकडूं चोरिया करनै ई वौ इतौ आराम नीं पायौ। पछै चोरी करण में कांई सार, पण तौ ई रांमदुवारा में अठी-उठी हेर-फेर करियां बिना उणनै नेहचै नीं व्हैतौ। केई बरसा रीं जूंनी लत ही। सारै-सास छूटै तो कीकर छूटै। वो आपरीं पुरांणी आदत पोखण सारू रांमदुवारा रा सगळा बरतन-बासणां री अठी-उठी हेरा-फेरी करतौ रेवणो। दूजा चेला ठोड़ री ठोड़ सगळी चीजां सावळ सुथराई सूं जमायनै धरता अर वौ जमायोड़ी चीजां ने अठी-उठी कर दैवतौ। सगळा चेला उणरी हेरा-फेरी सूं काठा काया व्हैगा। वै महंतजी नै चुगली करी तौ महंतजी उणनै बुलायनै समझायो-भाया, सगळी मूरतियां थारी घणी सिकायतां करै। थूं बिना कांम कारग चालतौ ई वांरी जमायोड़ी चीजा नै ठोड़ क्यूं छुड़ावै। रामदुवारा री सगळी मूरतियां थारी इण हेरा-फेरी सूं नाराज हैं। चोर महंतजी रै पगां हाथ लगायनै कहयौ-बाबजी, आप ई न्याव करौ के चोर, चोरी सूं गियौ जको तौ ठीक, पण हेरा-फेरी सूं ई गियौ। पुरांणी लत हैं, चोरी तौ छूटगी पण हेरा-फेरी नीं छूटै। मातमा उणनै समझायौ तो एकर मान गियौ। थोड़ा टैम वो हेरा-फेरी नीं करी। पण वो आपरी आदत नीं छोड़ सकियौ, रांमुदवारा रा मिनख मातमा नै घणी सिकायत करता पण मातमा मातमा उणनै बुलायनै समझावाता ही रैता। तामता जाणियौ के इणरी चैरी करण री आदत तो रांमदुवारा में रैहणै छूटी। लारै जाता वै हेरा-फेरी री लत आगोतर माथे छूट गी।
Father day
-
-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें